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स्थामा रह्या पड़ी त्रेसठ लाख पूर्व सुधी राज्यावस्थामा रहेतां उतां लेखन बे आदिमां एवी तथा|२| गणित ने मुख्य जेमां एवी तथा पक्षीउँनो शब्द जाणवानी कला अंते जेमां एवी पुरुषनी बहोंतेर कलाउनो उपदेश कर्यो अर्थात् शीखवी. लेखन श्रादि बहोंतेर कला या प्रमाणे जाणवी. लेखन
१, गणित २, गीत ३, नृत्य ४, वाद्य ५, पठन ६, शिक्षा , ज्योतिष ७, बंद ए, अलंकार १०, & व्याकरण ११, निरुक्ति १५, काव्य १३, कात्यायन १४, निघंटु १५, गजारोहण १६, तुरगारोहण १७,
ते बनेनी शिदा १७, शस्त्राच्यास १ए, रस २०, मंत्र १, यंत्र २२, विष २३, खन्य श्व, गंधवादश्य
प्राकृत २६, संस्कृत २७, पैशाचिका २७, अपभ्रंश भए, स्मृति ३०, पुराण ३१, तेनो विधि ३५, ४सिकांत ३३, तर्क ३४, वैदक ३५, वेद ३६, आगम ३७, संहिता ३७, इतिहास ३ए, सामुनिक ४०, विज्ञान ४१, आचार्यक विद्या ४५, रसायन ४३, कपट ४४, विद्यानुवादना दर्शन अने संस्कार है ४५-४६, धूर्तसंबलक ४७, मणिकर्म ४०, तरुचिकित्सा भए, खेचरीकला ५०, अमरीकला ५१, इंजजाल, ५२, पाताल सिकि ५३, यंत्रक ५४, रसवती ५५, सर्वकरणी ५६, प्रासादलक्षण ५७, पण ५७, चित्रो-3
पल एए, लेप ६०, चर्मकर्म ६१, पत्रवेद ६२, नखछेद ६३, पत्रपरीक्षा ६४, वशीकरण ६५, काष्ठघटन ६ १६६, देशलाषा ६७, गारुम ६, योगांग ६ए, धातुकर्म su, केवलि विधि ७१ अने शकुनरुत ७५. ए
प्रमाणे पुरुषनी बहोंतेर कला जाणवी. | आमां लेखन-लिखित ते हंस लिपि श्रादि अढार जातनी लिपि समजवी तेनुं विधान प्रजुए जमणे हाथे ब्राह्मीने शीखव्यु. तथा एक, दश, सो, हजार, अयुत (दश हजार), लाख, प्रयुत (दश 8 लाख ) कोटि, अर्बुद ( दश कोटि) श्रज, खर्व, निखर्व, महापद्म, शंकु, जलधि, अंत्य, मध्य अने हैं परार्ध-एवी रीते अनुक्रमे दश दश गणी संख्यावाचुं गणित माबे हाथे सुंदरीने शीखव्यु. वली | नरतने काष्ठकर्मादि कर्म अने बाहुबलिने पुरुष श्रादिनां लक्षण शीखव्यां. १ पृथ्वीमा रहेल पदार्थ जाणवानी कला. २ वृदोने अताव्याधिनु औषध जाणवानी कला. ३ एन्जीनीयर खातानी कला.
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