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________________ कल्प ॥१०॥ *********A हवे श्री नेमिकुमारने परिवार सहित समुजविजय राजा कहेवा लाग्या के षनदेव थादिक 8 जिनेश्वरो पण विवाह करीने मोके गया , माटे हे कुमार ! तमारं ब्रह्मचारीनुं पद तेनाथी हैं पण चुं थशे? | ते सांजली नेमिनाथे कडं के हे तात ! मारां नोगावली कर्मों कीण थयां , वली जेमा एका स्त्रीनो संग्रह थाय , जेमां अनंता जंतुसमूहनो संहार थाय ने तथा जे संसारने फुःखरूप कर-18 है नार बे एवा विवाह माटे आपनो श्रा \ आग्रह ? है| अहीं कवि उत्प्रेक्षा करे डे के “हुँ एम मार्नु बु के स्त्रीउथी विरक्त एवा श्री नेमिनाथ प्रनु । परणवाना मिषधी बहीं थावीने पूर्वना प्रेमथी राजीमतीने मोद माटेनो संकेत करी गया.” | | दक्ष (माह्या) एवाश्रीनेमिनाथ प्रजुत्रणसो वर्ष सुधी कुमारपणे गृहस्थावस्थामा रह्या एटलामा वली131 पण लोकांतिक देवोए इत्यादि सर्व प्रथम कहेलु ते प्रमाणे कहे. लोकांतिक देवो आ प्रमाणे ६ कहेवा लाग्या के हे कामदेवने जीतनारा तथा समस्त जंतुऊने अजयदान देनारा प्रजु! जयवंता वर्तों के अने हमेशांना महोत्सवने माटे श्राप तीर्थने प्रवर्तावो. एवी रीते प्रजुने कडं अने वार्षिक दान दीधा है बाद प्रजु त्रणे नुवनोने आनंद पमाडशे एरीते (कहीने ) समुजविजय प्रमुखने उत्साह पमामता 5 हवा. त्यारपती सघला संतुष्ट थया. पढी ज्यांसुधी गोत्रीने धन वहेंची आप्युं त्यांसुधी कहेवू.18 अहीं संवत्सरीदानविधि श्री वीर प्रज्जुनी पेठेज जाणी लेवो. | वर्षाकालनो पहेलो महीनो, बीजुं पखवामीयु, श्रावण मासनो शुक्लपक्ष, ते श्रावणना शुक्लपदनी बहने दिवसे प्रथम प्रहरने विषे उत्तरकुरा नामनी पालखीमां बेठेला अने देव, मनुष्य तथा असुरोनी पर्षदा जेनी आगल चाली रही एवा प्रनु यावत् छारवती (छारिका) नगरीना | ॥१०॥ मध्य नागमांथी नीकल्या अने नीकलीने ज्यां रैवतक नामर्नु उद्यान ले त्यां श्राव्या अने श्रावीने अशोक नामना वृक्षानी नीचे पालखी स्थापन करावी अने स्थापन करावीने पालखीमांधी नीचे RRASIA Jain Education International For Private & Personal Use Only Wiww.jainelibrary.org
SR No.005230
Book TitleSubodhika Kalpasutra Tika Gujarati Bhashantar
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVinayvijay
PublisherShravak Bhimsinh Manek
Publication Year1915
Total Pages414
LanguageGujarati
ClassificationBook_Gujarati, Agam, Canon, & agam_kalpsutra
File Size16 MB
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