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ननाए पण कयु के हे सखि ! मृगलोचना ! मने पण तेनी खबर बे, पण हमणां तो मौनज रहे है। पली राजीमती पण लजाए करीने पोतानुं मध्यस्थपणुं देखामती कदेवा लागी के हे सखी! नूवनमा अद्लुत नाग्ये करीने धन्य एवी गमे ते को कन्यानो श्रा जार हो, पण सर्व गुणे 1 करीने सुंदर एवा आ वरमा जे दूषण काढq ते तो दूधमांथी पूरा काढवा जेवू असंजवितज बे. है पनी ते बन्ने सखीए विनोद सहित कयु के हे राजीमति! पहेला तो वर गौर वर्णवालो जोवाय,
अने बीजा गुण तो परिचय थया बाद जणाय, अने ते गौरपणुं तो आ वरमां काजल सरखं देखाय जे. ही ते सांजली ईर्ष्या सहित राजीमती सखीउने कदेवा लागी के आज दिन सुधी तमे बन्ने ।
चतुर बो एम मने भ्रम हतो, परंतु हवे ते ब्रम नांगी गयो; केमके सर्वे गुणोनुं कारणरूप एवं श्याम-3 पणुं नूषण बतां तमोए पूषणरूपे कडं बे, पण हवे तमे सावधान थश्ने सांजलो. श्यामपणामां है श्रने श्याम वस्तुनो आश्रय करवामां गुण रहेला बे, तथा केवल गौरपणामां तो दोष रहेला है बे केमके पृथ्वी, चित्रावेली, अगर, कस्तुरी, मेघ, अांखनी कीकी, केश, कसोटी, मसी तथा
रात्रि ए सर्वे वस्तु श्याम रंगनी पण महा फलवाली बे. ए श्यामपणामां गुण कह्या ले. वली कपू. परमां अंगारो, चंडमां चिह्न, खमां कीकी, नोजनमां मरी तथा चित्रमा रेखा ए वस्तु श्याम है रंगनी ने तोपण ( सफेद वस्तुने ) गुणनी हेतुचूत . ए श्याम वस्तुना आश्रयमां गुण कह्या है R. तथा लवण खारं बे, बरफ दहन करनारो बे, अति सफेद शरीरवालो रोगी होय डे तथा
चुनो परवश गुणवालो , एवी रीते केवल गौरवर्णमां अवगुण कह्या . 4 एवी रीते ते परस्पर वातो करते बते श्रीमान् नेमिनाथ प्रजु पशुऊनो धार्त स्वर सांजलीने 8 तिरस्कार सहित बोल्या के हे सारथि !था शो दारुण स्वर संजलाय ? त्यारे सारथिए कह्यु के है तमारा विवाहमां नोजन वास्ते एकगं करेलां पशुऊनो श्राखर जे. ए प्रमाणे सारथिए को बते प्रनु । विचारवा लाग्या के था विवाहना उत्सवने धिक्कार ! केमके था पशुउने तो ते अनुत्सव ( शोक ).
KAGRA
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