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________________ कल्प० सुबोग ॥ए ॥ समुजविजय श्रादि दश दशाई अने केशव, बलन श्रादि विशिष्ट परिवारवाला तथा शिवादेवी प्रमुख स्त्रीउथी गवातो बेधवल मंगलनां गीतोनो विस्तार जेनो एवा नेमिकुमार परणवा माटे चाख्या. | श्रागल चालतां तेमणे सारथि तरफ जोश्ने तेने पूज्युं के था मंगलना समूहे नरेलुं धवल मंदिर है। कोर्नु बे ? त्यारे सारथि पण आंगलीना श्रग्र नागथी बतारतो कहेवा लाग्यो के था तमारा ससरा उग्रसेन राजानो महेल डे, अने तमारी स्त्री राजीमतीनी श्रा चंझानना तथा मृगलोचना नामनी 3 सखी माहोमांहे वातो करे . ते वखते नेमिनाथ प्रजुने जोश् मृगलोचना चंबाननाने कहेवा लागी के हे चंडानना ! स्त्रीवर्गमा एक राजीमतीज वर्णववा लायक डे के जेणीनो हाथ था आवो है। जर्तार ग्रहण करशे; त्यारे चंडानना पण मृगलोचनाने कहेवा लागी के जो विज्ञानने विषे चतुर एवो है |विधाता पण श्रावा अनुत रूपथी मनोहर राजीमतीने बनावीने धावा उत्तम वरनी साथे तेनो मेलाप न करावे तो ते शी प्रतिष्ठा पामे ? । पनी वाजिबनो शब्द सांजलीने राजीमती पण माताना घरमांथी नीकलीने सखी उनी वच्चे है आवी अने कहेवा लागी के हे सखी ! आमंबर सहित आवता एवा वरराजाने पण तमे एकलीज जुर्म बो अने हुँ तो जोवा पामती नथी, एम कही बलथी एकदम तेनी वच्चे उनी रहीने 2 नेमिकुमारने जोश्ने श्राश्चर्यपूर्वक विचारवा लागी के शुं आ पातालकुमार ? अथवा काम-31 देव पोतेज ? अथवा इंजने ? अथवा मारां पुण्योनो समूह आ मूर्तिमान् थश्ने श्राव्यो / ? जे विधाताए था सौजाग्य प्रमुख गुणराशिवाला वरने बनाव्यो , ते विधाताना हाथर्नु बुंडणुं हर्षश्री हुँ करु ढुं. | एटलामां मृगलोचनाए राजीमतीनो अभिप्राय समस्त प्रकारे जाणी लइने प्रीतिपूर्वक हास्यथी| 31॥५॥ चंडाननाने कयु के हे सखि ! चंडानना ! श्रा वर समस्त गुणोए करी जो के संपन्न बे,तोपण तेमां : एक दूषण तो बेज, पण वरनी शर्थी एवी राजीमतीना सांजलतां ते कही शकाय नहीं. त्यारे चंझा-18 Jan Educaton international For Private Personal Use Only
SR No.005230
Book TitleSubodhika Kalpasutra Tika Gujarati Bhashantar
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVinayvijay
PublisherShravak Bhimsinh Manek
Publication Year1915
Total Pages414
LanguageGujarati
ClassificationBook_Gujarati, Agam, Canon, & agam_kalpsutra
File Size16 MB
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