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________________ बेक प्रजुनी नासिकाना अग्र जाग सुधी आवी पहोंच्युं त्यारे धरणेऽनुं श्रासन कंपवाथी ते पोतानी पट्टराणी सहित त्यां श्राव्योअने पोतानी फणाथी प्रज पर बनधर्य. पली धरणे अव-13 धिज्ञानथी मेघमालीने श्रमर्षश्री वरसतो जाणीने तेने धमकाव्यो, त्यारे ते मेघमाली पण प्रजुनु । शरणुं लइने पोताने स्थानके गयो. धरणे पण नाटक आदिकथी प्रजुनी पूजा करीने पोताने 8 स्थानके गयो. एवी रीते प्रजु देवादिके करेला उपसोंने रुडे प्रकारे सहन करता हवा. ___ त्यार पनी पार्श्वनाथ प्रज्जु अणगार थया अने जवा आववामां उत्तम प्रवृत्तिवाला थश्ने यावत श्रात्मानी नावना जावता त्र्याशी दिवस वीती गया अने चोराशीमा दिवसने विषे वर्तता,श्रा जना-13 हैलानो पहेलो महीनो, पहेलु पखवाडीयुं, ते चैत्र मासनो कृष्णपक्ष, ते चैत्र मासना कृष्णपक्षनी/ चोर्थने दिवसे प्रथम प्रहरने विषे धातकी नामना वृदनी नीचे जल रहित बहनो तप करीने विशाखा | हूँ नक्षत्रमा चंऽयोग प्राप्त थये उते शुक्लध्यानना प्रथम बे नेद ध्याते बते प्रजुने अनंत, अनुपम यावत् श्रेष्ठ, केवलझान अने केवलदर्शन उत्पन्न थयां,यावत् सर्व नावोने जाणता अने जोता थका विचरवा लाग्या. है। पुरुषप्रधान अर्हन् श्री पार्श्वनाथ प्रजुने श्राउ गण अने आठ गणधरो हता. तेमां एक वाच-5 नावाला यतिसमूह ते गण अने ते गणना नायक एटले सूरि ते गणधरो जाणवा. ते श्री पार्श्वनाथने श्राप हता, पण श्रावश्यकमां दश गण अने दश गणधर कहेला बे, थने स्थानांगमां बे अल्पायुषी होवाना कारणे ते बे कहेला नथी एम टिप्पणमां जणाव्युं . ते थाउनां नाम आ|* ट्रप्रमाणेः-शुन्न, आर्यघोष, वशिष्ट, ब्रह्मचारी, सोम, श्रीधर, वीरज तथा यशस्वी. है। पुरुषप्रधान अर्हन् श्री पार्श्वनाथ प्रजुने आर्यदिन्न थादि सोल हजार साधुउनी उत्कृष्ट साधुसंपदा थइ, पुष्पचूला प्रमुख आमत्रीश हजार साध्वीनी उत्कृष्ट साध्वीसंपदा थर, सुव्रत प्रमुख एक लाख ने चोसठ हजार श्रावकोनी उत्कृष्ट श्रावकसंपदा थर, सुनंदा प्रमुख त्रण १ गुजराती फागण वदि चोथने दिवसे. SANGRAHASRAHASRHARASHTRA RIGANGANAGARICHAAR JanEducation international FPS
SR No.005230
Book TitleSubodhika Kalpasutra Tika Gujarati Bhashantar
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVinayvijay
PublisherShravak Bhimsinh Manek
Publication Year1915
Total Pages414
LanguageGujarati
ClassificationBook_Gujarati, Agam, Canon, & agam_kalpsutra
File Size16 MB
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