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________________ हूँ वैश्यायन तापसे आतापना ग्रहण करवा माटे जटा बुटी मुकी हती,तेनी मांदे घणी जुडने जो गोशाले तेने "यूकाशय्यातर" एम वारंवार कहीने तेनी हांसी करी. तेथी ते तापसे क्रोधायमान Pथ तेना पर तेजोलेश्या मूकी, पण दयारसना सागर एवा प्रजुए शीतलेश्या वझे तेनुं निवा रण करीने गोशालानुं रक्षण कयु. | पनी ते मंखविना पुत्र गोशाले ते तापसनी तेजोलेश्याने जोश्ने जगवानने पूज्यु के हे जगवन् ! ते तेजोलेश्या केम प्राप्त थाय ? ते सांजली प्रजुए अवश्य जावी जावना जोगथी सर्पने दूध पावानी पेठे| तेवा अनर्थ करनारी एवी पण तेजोलेश्यानी विधि तेने शिखवी के हमेशां आतापनापूर्वक बहनो तप करी, एक मुठी अमदना वाकुलाथी तथा एक उना पाणीनी अंजलिथी पारj करवू, श्रने एवी रीते 8 करनारने उ मासने अंते तेजोलेश्या प्राप्त थाय जे. त्यांथी सिद्धार्थ नामे नगर प्रत्ये जतां गोशाले कह्यु हूँ के ते तलनो बोम निपज्यो नथी, पण प्रजुए कह्यु के ते बोझ तो निपज्यो . गोशाले ते वचन पर श्रका | नहीं राखता ते तलनी शिंग फोमीने जो, तो अंदर सात तलने जोश्ने तेज शरीरमा तेज प्राणीयो फरीने परावर्तन करीने उपजे , एम मति अने नियतिने दृढ करी. त्यांथी ते प्रजुथी जूदो पड्या; थने श्रावस्ती नगरीमांजशकुंजारनी शालामांरहीने प्रजुए बतावेला जपायथी तेजोलेश्यो साधीने ६ श्रने श्रीपार्श्वनाथ प्रजुना तजीदीधेला व्रतवाला शिष्य पासेथी अष्टांग निमित्त जणीने अहंकारे करीने से हैलोकोने जणाववा लाग्यो के हं तो सर्वक. अहीं किरणावली टीकाकारे काले के तेजोलेश्य उपाय सिद्धार्थे शिखव्यो बे,ते विचारवा जेवू बे, केमके श्रावश्यक वृति तथा हेमचंडाचार्यजीए करेला श्रीवीरचरित्र थादिक अनेक ग्रंथोमां प्रजुए ते विधि कह्यो एम कडं जे. त्यांथी प्रजुए दशमुं चोमासुंश्रा-18 वस्तीमां कर्यु तथा त्यां तेणे विचित्र प्रकारनो तप पण कर्यो एवी रीते अनुक्रमे प्रजु बहु म्लेडोवाली एवी हूँ दृढ मिमां गया.त्यां पेढाल ग्रामनी बहार पोलास चैत्यमां अष्टमजक्तपूर्वक प्रनु एक रात्रिनी प्रतिमाथी रह्या. ते वखते सजामां श्रावेलाई कडं के वीर प्रजुना चित्तने चलाववामांत्रणे लोकोना रहेवासी KHASOCIAL ARROSURANCECROSOCIAS ALSCRECORDCROCALSGAR-SAMACCORDC RECORDINGOCALCRk Jain Education international For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.005230
Book TitleSubodhika Kalpasutra Tika Gujarati Bhashantar
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVinayvijay
PublisherShravak Bhimsinh Manek
Publication Year1915
Total Pages414
LanguageGujarati
ClassificationBook_Gujarati, Agam, Canon, & agam_kalpsutra
File Size16 MB
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