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________________ दिवसे, विजय नामना मुहर्ते, करेल ने उहनो तप जेमणे, तथा शुभ वेश्या जेमनी, एवा ते 8 प्रजु आगल वर्णवेली चंउप्रजा नामनी पालखीमां, पूर्व दिशा सन्मुख सिंहासन पर बेग. त्यां प्रजुनी 3 जमणी बाजुए कुलनी महत्तरिका हंसनां लक्षणे करी युक्त एवा पटशाटकने लश्ने बेठी, तथा डाबी वाजुए प्रजुनी धावमाता दीक्षानां उपकरणो लश्ने बेठी, तथा पालना नागमां एक तरुण है स्त्री उत्तम श्रृंगार पहेरीने तथा हाथमां श्वेत पत्र लश्ने वेठी, ईशानखुणामां एक स्त्री संपूर्ण नरेलो कलश लश्ने बेठी, अग्निखुणामां एक स्त्री मणिमय एवो हाथमां पंखो लश्ने सिंहासन पर बेठी; पठी नंदिवर्धन राजाए हुकम करेला माणसो जेटलामां ते पालखी उपाडे , तेटलामां शक्रेझे दक्षिण तरफनी उपरनी वाहा उपामी, ईशाने उत्तर तरफनी उपरनी वाहा उपामी, च६मरेंझे दक्षिण तरफनी नीचेनी वाहा उपामी, तथा बलींजे उत्तर तरफनी नीचेनी वाहा नपामी, श्रने बाकीना जवनपति, व्यंतर, ज्योतिष्क तथा वैमानिकना इंसो के जे चलायमान थतां कुंमल| आदिक श्राजरणोए करीने मनोहर लागता हता, तथा पंच वर्णनां पुष्पोनी वृष्टि करता हता,3 तथा उंछनि वगामता हता, ते पोतपोतानी योग्यता प्रमाणे ते पालखीने उपामता हवा. पनीर शक्रेज तथा ईशाने ते वाहाने बोडीने प्रजुने चामर वीजवा लाग्या. एवी रीते प्रजु पालखी पर चमते उते देवोए करीने गगनतल शरद् ऋतुमा रहेला पद्म सरोवर सरखं, प्रफुल्लित थयेला । अलशीना वन सरखं, करेणना वन सरखं, चंपाना वन सर तथा तिलकना वन सरखं मनोहर रीते शोजवा लाग्यु. तेम अंतर रहित वागतां एवां नंना, नेरी, मृदंग, उंति तथा शंख श्रा-2 ४/दिक अनेक वाजित्रोना नादो आकाशतलमां विस्तार पामया लाग्या, अने ते नादथी नगरनी है स्त्री पोतपोतानां कार्यो तजीने श्रावती थकी पोतानी विविध प्रकारनी चेष्टाउँथी माणसोने श्रा-2 हैश्चर्य करती हवी. कां ने के त्रण वानां स्त्रीने ववल . एक जगमो, वीजें काजल, त्रीजेंसिंपूर. वली पण त्रण वानां बीजां अत्यंत ववन . एक झूध, बीजो जमाइ श्रने त्रीजुं वाजूं. तेनी चे. an Education international For Private & Personal Use Only
SR No.005230
Book TitleSubodhika Kalpasutra Tika Gujarati Bhashantar
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVinayvijay
PublisherShravak Bhimsinh Manek
Publication Year1915
Total Pages414
LanguageGujarati
ClassificationBook_Gujarati, Agam, Canon, & agam_kalpsutra
File Size16 MB
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