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________________ कप० है कही संचलावीने वारंवार प्रजुनी तेणे कमा मागी, तथा तेम करीने ते पोताने स्थानके गयो. ते 8 सुबो वखते इंजे संतुष्ट थश्ने प्रजुनुं "वीर" एवं नाम कयु. एवी रीते श्रामलकीक्रीमानुं वृत्तांत जाणवु.|| ॥६ ॥ 87 दवे प्रजुना मातापिता तेमने श्राप वर्षनी उमरना थया जाणीने अति मोहथी आजूषणो आदिक पहेरावीने पाठशालामां लश् गया. ते वखते मातापिताए लग्नस्थितिपूर्वक अति हर्षित &थश्ने घणुं धन खरचीने मोटो अने मूख्यवान् उत्सव को. की ते वखते हाथी तथा घोमाना समूहे करीने, तथा मनोहर एवा बाजुबंध तथा हारोए क रीने, तथा सोनानां घमावेलां एवां विंटी, कुंडल तथा कंकण श्रादिके करीने, तथा अत्यंत म-है। नोहर एवां पंच वर्णनां रेशमी कापडे करीने स्वजन आदिक राजाश्रोनो तेमणे नक्तिपूर्वक सकार को. तथा पंमितने माटे नाना प्रकारनां वस्त्र, आजूषणो, नालियेर आदिक तथा निशा-51 लीबायोने वहेंचवा माटे सोपारी, शीगोमां, खजूर, साकर, खांझ, चारोली तथा प्राक्ष श्रादिक । मनोहर खावानी वस्तुओ पण तेमणे साथे लीधी तथा सोना, रूपा श्रने रत्नोनां मिश्रणथी ब-है। नावेलां पुस्तकोनां उपकरणो, तथा मनोहर खमीया, लेखण तथा पाटीओ पण साथे लीधां. वली सरस्वती देवीनी मूर्तिनी पूजा माटे मनोहर, नर्बु तथा घणां रत्नोथी जडित एवं सोनार्नु जूषण, तथा निशालीश्राओ माटे विविध प्रकारनां वस्त्रो पण साथे लीधां. एवी रीते सघली ज-8 सणवानी सामग्रीश्रो सहित कुलनी वृक्ष स्त्रीयोथी तीर्थोदके करीने स्नान करायेला, पहेरेला एवा घणा जे अलंकारो, तेश्रोए करीने कांतियुक्त थयेला, मस्तक पर मेघामंबर सरखं धारण करेल नेत्र जेणे एवा, चार चामरोथी वीकातुं ने अंग जेमनं एवा, चतुरंगी सेनाथी वीटा-1॥६॥ येला, वागतां ले विविध वाजांयो जेनीयागल एवा ते वीर प्रनु पंडितने घेर जता हवा. ते वखते पंमित पण राजाना पुत्रने जणाववाने उचित एवी, तथा दीरसमडना पाणी सरखा उज्ज्वल धोतीयां, सोनानी जनोश, तथा केसरनां तिलक श्रादिकनी सामग्री करतो हवो. For Private & Personal Use Only Alainelibrary.org
SR No.005230
Book TitleSubodhika Kalpasutra Tika Gujarati Bhashantar
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVinayvijay
PublisherShravak Bhimsinh Manek
Publication Year1915
Total Pages414
LanguageGujarati
ClassificationBook_Gujarati, Agam, Canon, & agam_kalpsutra
File Size16 MB
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