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हवे काश्यप गोत्रवाला श्रमण जगवंत श्रीमहावीर प्रजुनां त्रण नामो कहेवाय ने, ते श्रा प्र. सुवोण माणे जाणवां. तेमांश्री मातापिताए “वर्षमान” एवं प्रथम नाम पाड्यु; तप करवा विगेरेनी
शक्ति प्रजुनी साथेज उत्पन्न थइ ने माटे "श्रमण” एवं बीजं नाम जाणवु तथा लय अने नैरवमा ? |निष्कंप रहेवाश्री; तेमां जय एटले अकस्मात् वीजली श्रादिकथी उत्पन्न थयेलो जय, तथा नैरव । है एटले सिंह श्रादिक, तथा नूख, तरस आदिक बावीश परिषहो, तथा देवता संबंधी चार उप-18
सो, तथा तेना जुदा जुदा नेदो लेखीए तो सोल उपसर्गो, तेने प्रजुए क्षमाए करीने सहन 5 कर्या , पण असमर्थपणाए करीने नहीं; वली नसादिक तथा एकरात्रिकी श्रादिक प्रतिमाना है।
तथा अनिग्रहोना पालनारा, तथा त्रण झाने करीने मनोहर होवाथी बुद्धिवंत, तेम तेमणे रति (अरति पण सहन करेली , अर्थात् तेमां हर्ष शोक तेमणे कयों नथी; एवी रीते ते ते गुणोना ते 3
नाजनरूप ने, अर्थात् रागोषरहित ने एम वृक्ष आचार्योनो मत डे; तथा वीर्य कहेता पराक्रमे हूँ। करीने संपन्न ने. एवी रीतना प्रजुने देवोए "श्रमण नगवान् महावीर" एवं नाम आप्यु जे. एवं नाम देवोए केम कर्यु ? तेने माटे अहीं वृक्ष संप्रदायनो मत . ___एवी रीते उपर वर्णवेली युक्तिए करीने सुरासुरनरेश्वरोए करेल वे जन्मोत्सव जेमनो एवा ते 3
वीर प्रनु बीजना चंनी पेठे, अथवा कल्पवृदना अंकुरनी पेठे वृद्धि पामता थका अनुक्रमे केवा रथया ? ते कहे . चंछ सर तेमनु मुख थयुं, ऐरावण हाथी सरखी तेमनी चाल थर, तेमना !
होठ लाल थया, दांतनी पंक्ति सफेद यक्ष, केशनो समूह कालो थयो, हाथ कमल सरखा कोमल थया; श्वासोबास सुगंधी थयो, तथा कांतिए करीने पण ते उबसायमान थया. वली ते मति, श्रुत तथा अवधिज्ञान संयुत हता, वली तेमने पूर्वनवर्नु पण स्मरण हतुं, रोग रहित हता, वली|5॥६॥ मति, कांति, धीरज श्रादिक पोताना गुणोए करीने जगतथी पण अधिक हता, तेम जगतमा तिलक समान हता.
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