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________________ एटल पाताना जातवालाजन, पुत्राादक सगाउन, पित्राश्न, पुत्र तथा पुत्राना ससरा थादिकन, दास दासीउने तथा श्री ऋषनदेव प्रजुना वंशना दत्रिने तेए जमवा माटे नोतर या तेम कर्या पली प्रजा आदिक कार्यों करीने तथा कौतुकमंगल करीने, तथा शुरु सजाप्रवेशने योग्य मंगलिक श्रने श्रेष्ट वस्त्रो पहेरीने, तथा थोमां.पण महा मूल्यवालां थान्नूषणोथी शरीर अलंकृत करीने जगवंतनां मातापिता जोजनसमये नोजनमंम्पमा सारां श्रासनो पर वेग. तथा नपर कहेला स्वजनादिकनी साथे तेघणां एवां अशन,पान, खादिम अने खादिम एवा प्रकारनां नोजनोने सेलडीनी पेठे थोडं खातां थकां वधारे तजतां थकां, खजूर थादिकनी पेठे घणुं खातां अने थोडं तजतां थकां, अने उत्तम भोजननी पेठे सघर्बु खाइजतां अने केटलीक वस्तु एकबीजाने आप-18| तां थकां जमवा लाग्यां; अर्थात् एवी रीते जोजन करता हवा. एवी रीते नोजन कर्या बाद ते बेठकनी/ जगो पर श्रावी बेग; एवीरीते रहेता थकां त्यां शुद्ध एवं पाणी पीता हवा. ते वार पनी परम पवित्र थश्ने ते मित्रादिक वर्गनो तेए धणां एवां पुष्प,वस्त्र,गंध,माला तथा बानूषण श्रादिकश्री सत्कार कयों अने सन्मान कर्यु तथा तेम करीने ते मित्रादिक वर्गने प्रजुनां मातापिताए था प्रमाणे कडं के, हे स्वजनो! प्रथम पण अमारो श्रा वालक गर्नमां उत्पन्न थये उते आ थावा प्रकारनो चिंतवेलो संकल्प थयो हतो. ते संकल्प कयो ने ते हवे कहे . ज्यारथी श्रारंजीने अमारो था| बालक उदरमा गर्जरूपे उत्पन्न थयो हतो ते दिवसथी अमे रूपा वडे वृद्धि पामीए बीए, सोना 21 वडे वृद्धि पामीए बीए, तेमज धनश्री, धान्यश्री, राज्यर्थी यावत् सर्व प्रकारनां अव्यथी अने प्री-181 तिसत्कारथी अमे बहु बहु वृद्धि पामीए बीए. वली सीमाडाना राजा पण अमारे वश थयेला . माटे ज्यारे अमारा था वालकनो जन्म थशे त्यारे बा बालकनुं था एने योग्य, गुणवायं अने गुणने अनुसरतुं ‘वर्धमान' एवं नाम पाडशुं. ते पूर्वे उत्पन्न थयेली अमारी मनोरथसंपत्ति है श्राजे फलीचूत थइ , माटे अमारो कुमार वर्धमान ए नामे थाउं. Jan Education international FPS wow.jainelibrary.org
SR No.005230
Book TitleSubodhika Kalpasutra Tika Gujarati Bhashantar
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVinayvijay
PublisherShravak Bhimsinh Manek
Publication Year1915
Total Pages414
LanguageGujarati
ClassificationBook_Gujarati, Agam, Canon, & agam_kalpsutra
File Size16 MB
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