________________
होय, ते ते बजारमाथी मूल्य दीधा विनाज लोकोए ग्रहण करवी, केमके तेनुं मूल्य राजा श्रापशे
एवी रीतनी जाहेरखवरवाली, अने तेथी करीनेज अमेय कहेतां प्रमाण विनानी वस्तु मेलवी | 2 कृशकाय एवी. वली ते कुलमर्यादा केवी ? तो के नास्तिकोने घेर पण राजानी आझाने आपनारा
राजपुरुषोनो ने प्रवेश जेनी अंदर एवी. वली ते कुलमर्यादा केवी ? तो के दंम कहेतां राजा वडे अपराधना प्रमाणमा प्रजा पासेथी ग्रहण करातुं जे धन ते, तथा कुदंम कहेतां मोटो अपराध होते हैं बते पण अल्प एवो जेराजा दम ले ने ते, ते वन्नेथी रहित एवी. वली ते कुलमर्यादा केवी ? तो के ? करजे करीने पण रहित एवी अर्थात् सघलानुं करज पण राजा श्रापशे एवी. वली ते कुलमर्यादा केवी? तो के उत्तम एवी गणिकाओ, तथा नाटकमां जोडायेलां पात्रोए करीने सहित एवी. वली ते कुल-15 मर्यादा केवी ? तो के अनेक एवा जे प्रेदाकारी, तेजेए करीने सेवित थयेली. वली ते कुलमर्यादा केवी ? तो के नथी तजायेलां मृदंगो जेनी अंदर एवी. वली ते कुलमर्यादा केवी ? तो के नथी क-है। रमायेली पुष्पनी मालाओ जेनी अंदर एवी. वली ते कुलमर्यादा केवी ? तो के प्रमुदित कहेतां हवंत, अने तेथी करीनेज क्रीमा करवाने लागेला ने नगरना लोको सहित देशना लोको जेनी
अंदर एवी. एवी रीतनी उत्सवरूप कुलमर्यादा सिद्धार्थ राजा दश दिवस सुधी पालता हवा. है। पड़ी ते सिद्धार्थ राजा, तेवी रीते दश दिवस सुधी कुलमर्यादा पालते बते, सेंकमो, हजारो अने र
लाखोप्रमाणे अरिहंतनी प्रतिमानी पूजाओ करता हवा; केमके प्रजुनां मातपिता श्री पार्श्वनाथ प्रजुना, संतानना श्रावको हता. “यज" धातु देवपूजाना अर्थने कहेनारी , माटे अहीं “याग” एवा 2
शब्दथी प्रतिमानी पूजाज ग्रहण करवी, केमके वीजा यझोनो असंनव वली तेश्रो पार्श्वनाथ & प्रजुनां संतानना श्रावको हता, एम आचारांगमां कहेलु ने. वली ते राजा पर्वने दहाडे दानने 8
अने मानेली मानताने पोते देता श्रने सेवको पासे देवरावता उता सेंकमो, हजारो अने लाखो एवां वधामणांने पोते ग्रहण करता अने सेवको पासे ग्रहण करावता बता आप्रकारे महोत्सव करता हवा.
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org