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________________ & रत्नदाम श्रने सोनानो दमो राख्यां. तथा वत्रीश क्रोम रत्न, सोना अने रूपानी वृष्टि करीने इंजे का आनियोगिक देवोने मोढेधी घोषणा करावी के प्रजु अथवा प्रजुनी माता तरफ जे को श्रशुल चिंतवशे, तेना मस्तकना अर्जुन वृदना मांजरनी पेठे सात टुकमा थशे. वली प्रजुना |अंगुठा पर अमृत मूकीने तथा नंदीश्वर हीपमां बहा महोत्सव करीने सघला देवो पोताने| स्थानके गया. एवीरीते देवोए करेलो श्री वीर प्रजुनो जन्मोत्सव जाणवो. ___ हवे ते अवसरने विषे प्रियंवदा नामनी दासी जलदी राजा पासे जर ते पुत्रना जन्मना वृ. त्तांतने कदेती हवी. सिद्धार्थ राजा पण ते वृत्तांतने सांजलीने अत्यंत हर्षित थयो, तथा हर्षयी तेनी वाचा पण गद्गद शब्दोवाली थक्ष, तथा तेना शरीर पर रोमांच थयां. वली तेणीने राजाए मुकुट सिवाय सघलां श्राजूषणो वधामणीमां बाप्यां, तथा तेणीनुं माथु धोवरावीने तेने , ₹दासीपणाथी मुक्त करी. * जे रात्रिने विषे श्रमण जगवान् श्री महावीर प्रनु जन्म्या ते रात्रिने विष कुबेरनी आज्ञा मा-2 ननारा घणा तिर्यग्जूंनक देवता सिद्धार्थ राजाना घरने विषे रूपानी वृष्टि, सोनानी वृष्टि, हीरानी वृष्टि, वस्त्रनी वृष्टि, बाजरणनी वृष्टि, नागरवेल विगेरे पांदमांनी वृष्टि, पुष्पनी वृष्टि, नालियेर विगेरे फलनी वृष्टि,शालि विगेरे बीजनी वृष्टि, पुष्पमालानी वृष्टि, सुगंधनी वृष्टि, वासदेपनी वृष्टि, हिंगलादिक वर्णनी वृष्टि तथा अव्यनी वृष्टि वरसाववा लाग्या. पठी सिद्धार्थ राजाए जवनपति, व्यंतर, ज्योतिष्क अने वैमानिक देवोए तीर्थकरना जन्मा-3 निषकनो उत्सव कर्ये उते प्रजात कालना अवसरे नगरना भारतकोने बोलाव्या अने बोलावीने तेमने में लैकडं के हे देवानुप्रियो, तमे शीघ्र क्षत्रियकुंमग्राम नामना नगरमांजे केदखानांश्रो होय तेने साफ करो, अर्थात् तेमा रहेला केदीओने ठोमी मूको; केमके कां ने के युवराजना अनिषेक वखते, शत्रुना राज्यनो नाश करती वखते, तथा पुत्रजन्मना महोत्सवने दिवसे केदीयोने बंधन-31 Jain Education International For Private & Personal Use Only wow.jainelibrary.org.
SR No.005230
Book TitleSubodhika Kalpasutra Tika Gujarati Bhashantar
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVinayvijay
PublisherShravak Bhimsinh Manek
Publication Year1915
Total Pages414
LanguageGujarati
ClassificationBook_Gujarati, Agam, Canon, & agam_kalpsutra
File Size16 MB
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