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________________ एवी यश् थकी मधुर वाणीथी कहेवा लागी के, मारा गर्जने कल्याण बे.अरे! धिक्कार ने ! के में श्रति मोहयुक्त मतिपणाए करीने कुविकल्पो चिंतव्या; हजु मारां नाग्यो विद्यमान छे, तेम हुं त्रणे जु-18 वनोमां माननीय बुं, तथा धन्य . मारुं जीवित वखाणवालायक बे, तथा मारो जन्म कृतार्थप-14 णाने प्राप्त थयो . श्री जिनेश्वर प्रजु मारा प्रत्ये प्रसादयुक्त थयेला , तथा गोत्रदेवीए पण मारा है। पर कृपा करी , अने बेक जन्म पर्यंत जे में जिनधर्मरूपी कल्पवृदनी श्राराधना करी, ते आज 7 मारी सफल थवे. एवी रीते अत्यंत हर्षयुक्त चित्तवाली त्रिशला देवीने जोश्ने वृह स्त्रीजनां शमुखकमलोमांथी " जय जय नंदा" इत्यादि आशीषना ध्वनि नीकलवा लाग्या बली कुलांगना हर्षपूर्वक मनोहर एवां धवलो गावा लागी. तथा ध्वज, पताका जडवा लागी, मोतीऊना साथीया पूरावा लाग्या, तथा ते वखते सघ राजकुल आनंदमय थ रह्यु. तथा वाजित्र, गीत, अने नाटकोए करीने समस्त राजकुल देवलोक सरखी शोनावालु थयुं, तथा क्रोमो गमे धननां । वधामणांउने सिद्धार्थ राजाए ग्रहण कर्यां, तथा क्रोमो गमे धन आप्युं श्रने एवी रीते सिझार्थ 5 राजा थत्यंत हर्षयुक्त थयो थको कल्पवृक्षनी पेठे शोजवा लाग्यो. ते वार परीश्रमण जगवंत श्रीमहावीर प्रजु गर्नमा रह्या थकाज पक्षयीयधिकमास,एटले सामा महिना गये उते, भावी रीतना अनिग्रहने ग्रहण करता हवा. ते कयो अनिग्रह ? ते हवे कहे जे. ख-2 रेखर मारां मातापिता ज्यांसुधी जीवे, त्यांसुधी मारे लोच करी घरथी नीकलीने अणगारपणुं एटले दीदा लेवी नहीं एवी रीतना अनिग्रहने तेमणे ग्रहण को हुँ उदरमा ढुं त्यारे पण मारी मातानो 8 टू मारा पर ज्यारे श्रावो स्नेह , त्यारे ज्यारे मारो जन्म थशे, त्यारे तो ते स्नेह केवो थशे ? एवी रीतनी बुद्धि लावीने तेमणे एवो श्रनिग्रह ग्रहण कयों, अने वली बीजाने पण माताने विषे । बहु मान देखावा माटे तेमणे तेम कर्यु. केमके कयु डे के पशु ज्यांसुधी माता धवरावे , त्यांसुधी स्नेह राखे , अधम माणसो ज्यांसुधी स्त्री मले , त्यांसुधी माता पर स्नेह राखे बे, SCRECROCESCARDCOMSASRAELCOLLECORRECARICORICALCHEBCALC Sain Educat an international For Private Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.005230
Book TitleSubodhika Kalpasutra Tika Gujarati Bhashantar
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVinayvijay
PublisherShravak Bhimsinh Manek
Publication Year1915
Total Pages414
LanguageGujarati
ClassificationBook_Gujarati, Agam, Canon, & agam_kalpsutra
File Size16 MB
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