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________________ कल्प GHO सुबो ॥४ ॥ SSAISROCESSOS MOSSOSKAAMOS तथा रक्तरत्न कहेता.पद्मराग श्रादिक अर्थात् माणिक आदिक, अहीं आदि ” एवा शब्दश्री वस्त्र, कंबल विगेरेने ग्रहण करवां, तथा सत् एटले विद्यमान एवं, पण अजालनी पेठे असत् नहीं एवं जे । सारखापतेय कहेतांप्रधान अर्थात् उत्तम जातिनुंजे अव्य, तेणे करीने, तथा प्रीति कहेतां मन संबंधी-3 नी जे तुष्टि, तथा सत्कार कहेतां वस्त्र आदिकथी स्वजनोए करेली जक्ति, ते सघलाउँना समुदाये 8 ६ करीने ते ज्ञातकुल अत्यंत वृद्धि पामतुं हवं. है। हवे श्रमण जगवंत श्री महावीर प्रजुनां मातापिताने हवे पड़ी कहेवाशे एवा प्रकारनो पोताना सं. बंधी चिंतवेलो, प्रार्थेलो,मनमा रहेलो अध्यवसाय उपजतो हवो.ते अध्यवसाय केवो? ते हवे कहे . ज्यारथी अमारो आ पुत्र कुदिने विषे गर्नपणाए करीने उत्पन्न थएलो वे, त्यारथी मामीने अमे ।। रूपाथी वृद्धि पामीए बीए, सुवर्णथी वृद्धि पामीए बीए, धनथी वृद्धि पामीए बीए, एवी रीते उपर कहेला बेक प्रीतिसत्कार सुधीनां विशेषणोए करीने अत्यंत वृद्धि पामीए बीए, तेथी करीने दे है ज्यारे अमारा आ बालकनो जन्म थशे, त्यारे अमो पण या धनादिकनी वृद्धिने अनुरूप एवं आ 2 बालकनुं गुणोए करीने निष्पन्न एवं नाम पामशुं. ते नाम शुं ? ते हवे कहे . “वर्धमान इति"15 एटले "वर्धमान” एवं अमो तेमनुं नाम पामशुं. ६ ते वार पठी श्रमण जगवंत श्री महावीर स्वामीए गर्नमांजरहीने विचार्यु के मारा हलनचलनथी । माताने कष्ट मा थार्ज, एवी रीते मातानी अनुकंपा माटे, अर्थात् मातानी नक्ति माटे, लथा बीजाए । पण भावी रीते मातानी नक्ति करवी, एवं देखामवा माटे, पोते निश्चल, निष्पंद अर्थात् कंश पण हाल्या | चाच्या विना, अने तेश्री करीनेज निष्कंप कहेतां कंप विना,तथा अंगोना गोपववाथी जरा लीन थएला, तथा अंगोपांगना गोपववाथी प्रकर्षे करीने लीन थएला, अने तेथी करीनेज गुप्त रहेला एवा श्री ॥४ए । वीर प्रन्नु होता हवा. तेना पर कविए उत्प्रेदा करी के, शुं एकांतमां माताना गर्नमां रहीने प्रनु । मोह राजाने जीतवा माटे विचार करे ? अथवा परब्रह्म माटे कंश् अगोचर एवा ध्यानने रचे ले ? Join tucatio n al For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.005230
Book TitleSubodhika Kalpasutra Tika Gujarati Bhashantar
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVinayvijay
PublisherShravak Bhimsinh Manek
Publication Year1915
Total Pages414
LanguageGujarati
ClassificationBook_Gujarati, Agam, Canon, & agam_kalpsutra
File Size16 MB
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