SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 142
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ कल्प० ॥ ४८ ॥ Jain Education गामोमां, द्रोण एटले ज्यां जलवाटे घने स्थलवाटे बन्ने वाटे रस्ताओ होय ते त्यां, पत्तन एटले जल | अथवा स्थल बन्नेमांथी एक मार्ग ज्यां होय तेमां श्राश्रमो कहेतां तीर्थनां स्थानको, अथवा कृषि - ओने रहेवानां स्थानकोमां, संबाद कहेतां सपाट भूमिमां के ज्यां खेकुतो रक्षा माटे धान्यने राखे बे, ते स्थानकोमा, सन्निवेश कहेतां ज्यां संघ, लश्कर विगेरे खावीने उतरे बें, ते स्थानकोमां, तथा शृंगा|टक कहेतां सिंध्याटक (सींघोमां) नामे फलना आकारे त्रण खुणावालुं जे स्थानक होय तेमां, त्रिक ए|टले ज्यां त्रण रस्ता श्रावीने एकठा थाय बे, ते स्थानकमां, चतुष्क कहेतां ज्यां चार रस्ताओ एकठा थाय बे, ते स्थानकमां, चत्वर कहेतां ज्यां अनेक रस्ता एकता थाय बे, ते स्थानकर्मा, चतुर्मुख कहेतां जेनां चार वारणा होय एवा देवकुल कहेतां देवालयोमां, महापथ कहेतां राजमार्गमां, | ग्रामस्थान कहेतां गाममा धोनां जे उंचां स्थानको, तेओने विषे, तथा नगरस्थानक कहेतां नगरनां उंचां स्थानकोमां, तथा ग्राम निर्धमन कहेतां गाममांथी पाणी जवाना मार्गरूप जे खालो तेर्जमां, |एवी रीतेज नगर निर्धमन कहेतां नगरमांथी पाणी जवाना मार्गरूप जे खालो तेर्उमां, व्यापण एटले जे दुकानो तेथोमां, देवकुल कहेतां य श्रादिकनां जे स्थानको तेश्रोमा, सजा क देतां माणसोने बेसवानां जे स्थानको तेश्रोमां, प्रपा कहेतां पाणीनां जे पर्वो तेयोमां, तथा याराम कहेतां केल यादिक वृ दोए करीने याच्छादित थएला तथा स्त्री पुरुषोने कीमा करवानां स्थानकरूप एवा बगीचाओमां, तथा उद्यान कहे तां पुष्प ने फलोए करीने सहित एवां जे वृक्षो, तेओए करीने शोभायुक्त थलां तथा घण | माणसोने उपजोगमां यावी शके एवां उद्यानिकाना स्थानकोमां, तथा वन कहेतां एक जातिनां वृना समूहो वे जेमां एवां स्थानकोमां, तथा वनखंग कहेतां अनेक जातिनां बे वृक्षोना समुदायो जेमां एवां स्थानकोमां, तथा स्मशान कहेतां ज्यां माखसोनी लासोने श्रनिदाद करवामां आवे वे एवां स्थानकोमां, शून्यागार कक्षेतां जेमां कोइनी वस्ती न होय एवां शून्य घरोमां, तथा गिरिकंदरा कहेतां पर्वतोनी जे गुफार्ड तेर्जमां, तथा शांतिगृह कहेतां ज्यां शांतिनां कार्यों थाय बे एवां स्थानकोमां, तथा शैलगृह For Private & Personal Use Only सुबो० ॥ ४८ ॥ Tainelibrary.org
SR No.005230
Book TitleSubodhika Kalpasutra Tika Gujarati Bhashantar
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVinayvijay
PublisherShravak Bhimsinh Manek
Publication Year1915
Total Pages414
LanguageGujarati
ClassificationBook_Gujarati, Agam, Canon, & agam_kalpsutra
File Size16 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy