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________________ तनी अंदर बेग हता,त्यां श्राव्या,अने श्रावीने तेने कहेता हवा के हे त्रिशला! या प्रमाणे स्वप्नशास्त्रमा बेतालीश सामान्य स्वप्न श्रने त्रीश महास्वप्नथी श्रारंजीने जेवट एक महा स्वप्नने जोश्ने जगायले अने|| हे त्रिशला ! तें तो था चौद महा स्वप्नो दीठां , तें उदार स्वप्नो दीगं , माटे त्रण लोकना नायक|8 श्रने धर्मने विषे श्रेष्ठ एवा चार गतिना नाश करनार चक्रवर्ती जिनेश्वर तारा पुत्र थशे. पनी शला क्षत्रियाणी ए अर्थने सांजलीने अने धारीने हर्ष पामेली, संतोष पामेली, यावत् हर्षथी पूर्ण हृदकायवाली थर थकी वे हाथ वडे अंजलि करीने ते स्वप्नोने सारी रीते हृदयमा धारी राखे अने धारी राखीने सिद्धार्थ राजाए जवानी रजा आपी एटले नाना प्रकारनां मणि अने रत्नोनी रचनाथी मनो-15 हर एवा जसासन उपरथी उठे अने उठीने उतावल विनानी, चपलता विनानी, यावत् राजहंसना है सरखी गति वडे ज्यां पोतानुं निवासमंदिर ने त्यां श्रावेडे अने आवीने पोताना मंदिरमा पेगं. 2 हवे जे दिवसथी श्रारंनीने श्रमण जगवान् महावीर प्रजु ते राजकुलने विषेश्राव्या ते दिवसथी श्रा रंजीने जेश्रो धनदना स्वाधीनपणाने धारण करे , एवा जे तिर्यग् लोकमां रहेनारा घणा जूनक देवता४ो , शक्रनां वचने करीने, अर्थात् इंजे वैश्रमण एटले कुबेरने कयु, अने कुबरे तिर्यजूंनकोने कद्यु,18 + अने तेथी ते जूंनक देवो, जेनुं बागल स्वरूप वर्णववामां श्रावशे, एवा पूर्वे निधानरूपे माटी र राखेलां अने तेथीज पुराणां एवां महानिधानो लाव्या. ते नीचे प्रमाणे जाणवां. नाश थएला डे मालिको जेयोना, नाश थएला ने एकठा करवावाला जेथोना एवां निधानो, वलीते निधानो केवां तो के जे निधानोनां गोत्रीयो तथा घरो नाश पामेला एवां,तथा सर्व प्रकारे अनावने प्राप्त थएला डे खामी, जेना, तथा सर्व प्रकारे नाश पाम्या ने एकठा करनारा जेना, तथा सर्व प्रकारे नाश पाम्यां ने गोत्रीयो है अने घरो जेनां; हवे ते निधानो कयां कयां स्थानकोमा ? ते कहे . गाममां, कर कहेतां लोखंग है थादिकनी उत्पत्तिनां स्थानकमां,नगर एटले ज्यां कर न लेवातो होय तेमां,खेट कहेता जेनी श्रासपास है धूलिनो कोट ले तेमां, कर्वट एटले कुनगरोमां, ममंव एटले चारे वाजुएश्री अर्धा योजन दूर रहेला । 1962 Jain Educational For Private & Personal Use Only Pw.jainelibrary.org
SR No.005230
Book TitleSubodhika Kalpasutra Tika Gujarati Bhashantar
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVinayvijay
PublisherShravak Bhimsinh Manek
Publication Year1915
Total Pages414
LanguageGujarati
ClassificationBook_Gujarati, Agam, Canon, & agam_kalpsutra
File Size16 MB
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