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INवली ते राजा केवोतो के अनेक कहेतां घणा एवा जे गणनायको कहेता पोतपोताना समुदायना स्वामी-12||
एटले उपरी, तथा दंडनायक कहेतां तंत्रपाल एटले देशनी चिंता करनाराज, तथा राजा एटले मांमलिक राजा, अर्थात् पोताना ताबा तलेना देशोना खंमीथा राजा, तया ईश्वरो एटले युवराजा, (अहीं कल्पसूत्रनी किरणावली नामनी टीका करनारा धर्मसागर उपाध्याय तथा दीपिका नामनीटीका है। करनार ए बन्नेए ईश्वरनो अर्थ “युवराजाः” ने बदले "युवराजानः" एम करीने प्रयोग मूकेलो ने ते विचारवा लायक,केमके ते व्याकरणना नियमथी उलटोबे; कारण के "अट्रसमासांतागमनेन" एवी रीतनाव्याकरणना सूत्रथी "युवराजाः" एवी रीतनोप्रयोग थाय , पण "युवराजानः" यश् शकतो
नश्री, तेथी विद्वानोए मूकेलो प्रयोग विचार करवा जेवो ) तथा तलवरा कहेतां संतुष्ट थएला राजाहए दीधेलो जे पट्टबंध कहेतां चांद, तेणे करीने विनूषित थएला एवा राजस्थानीय कहेतां राजदरबारी
माणसो तथा मांडलिक कहेतां ममलना स्वामी एटले उपरी, तथा कौटुंबिक कहेतां केटलांक एवां जे कुटुंबो, तेऊनां स्वामी, तथा मंत्रि कहेतां राज्यना अधिष्ठायक एवा सचिवो, के जे तमाम राज्य
संबंधी कार्यने चलावे ते, तथा महामंत्रि कहेतां उपर कहेला मंत्रित करतां पण जेने वधारे अधिहै कार एवा, तथा गणक एटले ज्योतिष संबंधी विद्यानां शास्त्रीने पार पहोंचेला ज्योतिषी, तथा दौ
वारिक कहेतां घार पासे चोकी करनारा प्रतिहारो एटले बमीदारो,तथा अमात्यो कहेतां पोतानी साथेजजेनो जन्म थएलो होय एवा मंत्रिर्ज, तथा चेटो कहेतां चाकरोतुं कार्य करनारा माणसो,पीठमर्दको एटले पीप कहेतां आसनने जे मर्दन करे ते अर्थात् नजदीकमा रही सेवा करनारा, एटले मित्रो, (का-13 रण के ते मित्रो होवाश्री, तेमने को वखते पोताना श्रासन पर पण जोममां राजा बेसामे डे,) तथा । नागरो कहेतां नगरमा वसनारा लोको, तथा निगमो एटले वेपार करनारा लोको, तथा श्रेष्ठी कहेतां रे नगरना मुख्य मुख्य वेपार करनारा लोको, तथा सेनापति एटले चतुरंगी सेनाना अधिकारी, तथा 1 सार्थवाहो कहेतां सार्थना नायको, एटले उपरी, तथा पूतो कहेतां बीजा राजाऊनी पासे जइ, पोताना
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