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कल्प
६ कहेतां सूर्य सरखो, कारण के ते कुलने प्रकाश करनारो थशे, एवा पुत्रने तुंजन्म आपीश. वली ते पुत्र है
है केवो थशे तोके पृथ्वीनी पेठे कुलने आधारभूत थशे, एवा पुत्रने तुं जन्म आपीश. वली ते पुत्र केवो है। ॥३०॥
तो के कुलनी जे नंदि कहेतां वृद्धि, तेने करनारो, एवा पुत्रने तुं जन्म श्रापीश. वली ते पुत्र केवो तो के कुलने विषे यश करनारो, अर्थात् सर्व दिशाउँमां कुलनी प्रख्यातिनो करनारो. कडं ने के:- 3 | "एकदिग्गामिनी कीर्तिः, सर्व दिग्गामुकं यशः”॥अर्थ-कीर्ति एक दिशामां जनारी होय , अनेजे 5 सर्व दिशामां व्यापे ते यश कहेवाय; माटे एवा पुत्रने जन्म थापीश. वली ते पुत्र केवो तो के
ने विषे पादप एटले वृक्ष समान अर्थात् वृद जेम पंथे चालनाराऊने आश्रयरूप थश्ने बाया श्रापे , इतेमतुंपण कुलने श्राश्रयनूत एवा पुत्रने जन्म श्रापीश. वली ते पुत्र केवो तो के कुलनी सर्व रीते वृद्धि
करनार एवा पुत्रने तुंजन्म आपीश. वली ते पुत्र केवो तो के सुकुमाल बेहाथ अने पगो जेना, तथा जरा 8 पण न्यूनता विनाना अने संपूर्ण पांचे इंडियो सहित शरीरवाला, तथा लक्षण अने व्यंजन यादिक गुहै णोए करीने सहित, तथा मानोपमाने करीने सुंदर डे सर्व अंग जेनुं एवा, तथा चं सरखा सौम्य आ
कारवाला, तथा कांत एटले मनोहर तथा प्रिय ले दर्शन जेनुं एवा, तथा उत्तम रूपवाला एवा पुत्र-2 ने तुं जन्म थापीश.वली ते बालक पण बाल्यावस्थाने त्यजी दश् सर्व जातना विज्ञाने करीने युक्त अर्थात्
परिपक्क विज्ञानवालो थशे.वली यौवनावस्था पाम्यो तो दान देवामां शरो अर्थात अंगीकार हूँ कार्याने निर्वाह करवामां समर्थ, वीर कहेता रण संग्राम करवामां समर्थ तथा विक्रांत कहेतां परराज्यने ।
थाक्रमण करवामां समर्थ अर्थात् महापराक्रमे करीने युक्त थशे. वली ते विस्तीर्ण थकी पण विपुल अ-2 कार्थात् अत्यंत विस्तारवाला बल कदेतां सेना तथा वाहन कदेतां बेल थादिके करीने युक्त थशे. वली ते 8
राज्यनो स्वामी कहेतां राजा थशे. माटे हे देवानुप्रिये, त्रिशला क्षत्रियाणि, ते अत्यंत मनोहर एवां स्व-18 मोजोयां जे. एम बेत्रण वार प्रशंसा करी. त्यार पली ते त्रिशला क्षत्रियाणी सिद्धार्थ राजानी पासे ए स्व. ॥३७॥ मांना अर्थने सांजलीने श्रने अवधारीने हर्षित थएली, संतुष्ट थएली, यावत् हर्षश्री जरा गएला हृद-18
NAGARSARKARISSAGESASARAKASSACRACKS
TECORDCORESCEBCAMSACAMAMASCALCANCREASCALOCALGAOCALC
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