________________ डेवलं उग्गं 2 3 22 4 22 8.15-16 24 13 25 26 10 31 4 दहा गां સંધયણ --नरसा न्यानेन -पकाय संपि मित्यत्ती नणिय ચતુદશન दर्शनिनः निरण जवत्ति वमता योय दंदक, नपयाग रज्जात्मक निच असुराण ધથયું -नरंसा न्यायेन -पकाया सव्ववि मिवृत्ती नाणयं ચક્ષુદશન दर्शिनः निरए नवति वमतां योग दंडक 334 34 6 34 16 35 13 35 22 Serving Jinshasan 094587 gyanmandir@kobatirth.org अमुराणं 45 17 Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org