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________________ 542 Jain Education International अक्षत पूजा दोहा श्याम वरण अति शोभता, अजमुख आप प्रमान । प्रिय दर्शन मुझ मन वस्या, धरूं निरंतर ध्यान ॥१॥ छ राग - पहले डुंगरीये मै तो आदिनाथ वांदु ॥ रिद्धि सिद्धि का दाता, माणिभद्र गावं । रायणतरु शाखा मुखमें राखे, जिन शासन धोरी ॥ ध्यान लगावुं ॥ તપાગચ્છાધિષ્ઠાયક (2) मस्तक मुकुट हीरा मोतीनो सोहे । गले मोतियन माला मोहे, जिन शासन धोरी -ध्यान० (२) सिद्धाचल देरी धारी, छ भुजधारी ॥ त्रिशूल डमरू डम डम बाजे, जिन शासन धोरी ध्यान० (३) मुद्गल, अंकुश, नागने धारी । ऐरावत हाथी वाहन स्वारी जिन शासन धोरी ध्यान ० (४) चौसठ योगिनी बावन वीररा राजा । बीस हजार देव स्वामी, जिन शासन धोरी (५) पूर्व ज्योति आप पूर्ण प्रभावी । अवधिसम आतमज्ञानी, जिन शासन धोरी (६) - For Private & Personal Use Only ध्यान ० ध्यान ० दर्शन नित्योदय समकितधारी, चन्द्रानन सरल परणामी जिनशासन धोरी - ध्यान ० मंत्र ॐ ह्रीं श्रीं श्री माणिभद्राय सर्व मंगल कराय सर्व दुष्ट ग्रह भूत पिशाच व्याधि हरणाय अक्षतं समर्पयामि स्वाहा । ( अक्षत का साथिया करना ) www.jainelibrary.org
SR No.005141
Book TitleYakshraj Shree Manibhadradev
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNandlal B Devluk
PublisherArihant Prakashan
Publication Year1997
Total Pages860
LanguageGujarati
ClassificationBook_Gujarati
File Size39 MB
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