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યક્ષરાજશ્રી માણિભદ્રદેવ
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दीप पूजा
दोहा करुं दीपकसुं पूजना, आतम जग प्रकाश ॥ मनोकामना फलवती, संपत्ति घर निवास ॥१॥
ढाल पांचमी राग-मत वावो मारा परण्या जीरो । यह अवसर कैसो आयो चित्त भ्रमित मुनि बनायोजी ।
भैरव उत्पात मचायो ॥
हेमविमलसूरि आराधन से, संकट सभी मिटायोजी ।
शासनरी शान बढाई ॥
(२) त्याग-तपस्या-मंत्र प्रभावे, वीर माणिभद्र आयाजी । निज आतमरा पर भावे ॥
(३) आधि व्याधि ने रोग निवारी. शासन विरुद धरायोजी ।
शुभ आनंद रंग वरसायो ॥ .
वासक्षेप माणिभद्र नामसुं, कार्य सिद्ध उपजायोजी ।
इच्छित फल के दातारी ॥
माणिभद्र अभिषेक स्पर्शसु, बाधाये टल जावेजी ।
पृथ्वी पर तरल विहारी ॥
दर्शनसागर नित्योदयसुं, चन्द्रानन पद पायोजी । आनंदघन आप वरसायो ।
मंत्र ॐ ह्रीं श्रीं माणिभद्राय, सर्व विघ्न हराय, मंगलकराय सर्वव्याधि दुष्टारि हरणाय रिद्धि सिद्धिं कुरु दीपं दर्शयामि स्वाहा ।
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