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________________ યક્ષરાજશ્રી માણિભદ્રદેવ 539 गुरु दर्शन नित्यानंदसु, मनमोहनजी । चन्द्रानन आधार, मनडे वसिया रे मनमोहनजी ॥ मंत्र : ॐ ह्रीं श्री माणिभद्राय सर्व मंगल काय सर्व व्याधि, दुष्टग्रहोपसर्ग हरणाय, महाभीति विनाशाय, रिद्धि वृद्धि, कुरु चंदन समर्पयामि स्वाहा । पुष्पपूजा दोहा जाई, जुई, केतकी, पुष्प सुगन्धि लाय । भाव धरी चरणे धरूं, भक्तिरंग प्रगटाय ॥ तीसरी ढाल राग - ए व्रत जगमें दीवो सिद्धाचल की महिमा मोटी, हेमविमलसूरि भाषे । नगर आगरा - चातुर्मासे । आगमवाणी साखे, मेरे प्यारे, सिद्धाचल गिरि वंदो ॥ व्यापार हेतु माणकशाह पण, नगर आगरा आवे । गुरुजी चातुर्मास सुणीने, स्थिरता आनंद पावे, मेरे प्यारे, सिद्धाचल गिरि वंदो ॥ छरी पालित यात्रा करतां त्रीजे भव मोक्षे जावे । वाणी सुणी मनडो हरखाणो, भावना गुरुने बतावे । मेरे प्यारे, सिद्धाचल गिरि वंदो ॥ एकासणे बेला तेला करतां, पगपाले हैं चाले । भूमि संथारो स्वाध्याय करतां, जीवदया नित पाले । मेरे प्यारे, सिद्धाचलं गिरि वंदो । कार्तिक पूनमें यात्रा करवा, माणकशाह रे चाल्या । मगरवाडा जंगल माही, चोरे शेठने भाल्या । मेरे प्यारे, सिद्धाचल गीरी वंदो ॥ वन वगडा में चौर मल्या है शेठने देख हरखाया । दर्शन नित्यानंद प्रभावे । चन्द्रानन पद पाया । मेरे प्यारे, सिद्धाचल गिरि वंदो ॥ मंत्र ॐ ह्रीं श्री माणिभद्राय सर्व मंगल कराय सर्व व्याधि दुष्टग्रहोपसर्ग हरणाय महा भीति विनाशाय ऋद्धि सिद्धि कुरु पुष्पाणि यजामहे स्वाहा । Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.005141
Book TitleYakshraj Shree Manibhadradev
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNandlal B Devluk
PublisherArihant Prakashan
Publication Year1997
Total Pages860
LanguageGujarati
ClassificationBook_Gujarati
File Size39 MB
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