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તપાગચ્છાધિષ્ઠાયક
हेमविमलसूरिजी उज्जैन में पधारे हें, ओ माणकशाह, ओ माणकशाह !
श्री गुरुदेव को देखकर खुश हुआ हो, ओ माणकशाह, ओ माणकशाह ! श्री गुरु की आशिष लेकर धन्य हुआ हो, ओ माणकशाह, ओ माणकशाह ! श्री आग्रा शहर के देरासर में पधारे हो, ओ माणकशाह, ओ माणकशाह ! श्री गुरुदेव के दर्शन पाकर खुश हुआ, ओ माणकशाह, ओ माणकशाह ! श्री गुरुदेव के सामने घोर प्रतिज्ञा ली, ओ माणकशाह, ओ माणकशाह ! श्री शत्रुजय की पुण्य यात्रा में निकले हो, ओ माणकशाह, ओ माणकशाह ! मगरवाडा के घोर जंगल में पधारे हो, ओ माणकशाह, ओ माणकशाह ! दिव्य दृष्टि से वीरगति का ज्ञान हुआ, ओ माणकशाह, ओ माणकशाह ! मस्तक आया माँ क्षिप्रा के चरणोंमें, ओ माणकशाह, ओ माणकशाह !
माँ गढ कालिका प्रसन्न हो गयी, ओ माणकशाह, ओ माणकशाह ! वीरगति का अद्भुत आशीर्वाद मिला, ओ माणकशाह, ओ माणकशाह ! रूप बदलकर कुलदेवी की इच्छा से बने हो, ओ मणिभद्रवीर, ओ मणिभद्रवीर !
मगरवाडा में पधारे हैं श्री गुरुदेव, ओ मणिभद्रवीर, ओ मणिभद्रवीर ! श्री गुरुदेव की छबी देखकर खुश हओ. ओ मणीभद्रवीर. ओ मणीभद्रवीर ! श्री गुरुदेव के सामने धर्मलाभ लेने आये हो, ओ मणिभद्रवीर, ओ मणिभद्रवीर !
श्री जैन धर्म की रक्षा करने आये हो, ओ मणिभद्रवीर, ओ मणिभद्रवीर ! श्री जिनेश्वर देव के अधिष्ठाई हो, ओ मणिभद्रवीर, ओ मणिभद्रवीर !
ओ जैन शासन के रखवाले हो, ओ मणिभद्रवीर, ओ मणिभद्रवीर ! श्री अलक्ष पार्श्वनाथ के देरासर में बसे हो, ओ मणिभद्रवीर, ओ मणिभद्रवीर ! खुद के महान देरासर में छोटा सा बसेरा बनाया ओ मणिभद्रवीर, ओ मणिभद्रवीर !
जग जगमें, गाँव गाँव में, कल्याण किया, ओ मणिभद्रवीर, ओ मणिभद्रवीर ! परन्तु खुद के महान देरासर में छोटा सा बसेरा बनाया, ओ मणिभद्रवीर, ओ मणिभद्रवीर !
श्री जिनेश्वर देव पूजते हो, सहाप्य करे, ओ मणिभद्रवीर, ओ मणिभद्रवीर ! आपने धरती को पहला आशीर्वाद दिये हो, ओ मणिभद्रवीर, ओ मणिभद्रवीर !
श्री जैन संघ आशीर्वाद मांगते हैं, ओ मणिभद्रवीर, ओ मणिभद्रवीर !
अपनी नगरी को उज्ज्वल बना दो. ओ मणिभदवीर. ओ मणिभदवीर । हम सब मिल कर द्वार पे तेरे आये हैं, ओ मणिभद्रवीर, ओ मणिभद्रवीर !
आज हम सब मिलकर प्रतिज्ञा ले रहे हैं, ओ मणिभद्रवीर, ओ मणिभद्रवीर ! आपके महान देरासर में शिखरबन्ध मंदिर बनाओ, ओ मणिभद्रवीर, ओ मणिभद्रवीर । श्रीसंघ के भक्तजन हाथ जोड़कर अर्ज करे हैं ओ मणिभद्रवीर, ओ मणिभद्रवीर ! श्री साधुजी और साध्वीजी धर्मलाभ देने आये हैं, ओ मणिभद्रवीर, ओ मणिभद्रवीर ! गोरा और काला भैरव आरती करने आये हैं, ओ मणिभद्रवीर, ओ मणिभद्रवीर ! आपका परम भक्त नेमीचंद आया आशिष लेने, ओ मणिभद्रवीर, ओ मणिभद्रवीर ! भैरवगढ़ के माणक चौक को 'उज्ज्वल' बनाओ, ओ मणिभद्रवीर, ओ मणिभद्रवीर ! मालवा की पुण्य धरती को उज्ज्वल बनाओ, ओ मणिभद्रवीर, ओ मणिभद्रवीर !
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