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________________ યક્ષરાજશ્રી માણિભદ્રદેવ 375 यक्षराज माणिभद्रजीनी प्रार्थना-गीत ( राग : कोण भरे कोण भरे... कोण भरे......) रक्षा करो..... रक्षा करो..... रक्षा करो रे..... माणिभद्र यक्षराज रक्षा करो रे.....; पाप हरो..... दु:ख हरो..... मोह हरो रे, माणिभद्र यक्षराज रक्षा करो रे श्रद्धा धरीने प्रभु भक्तिमा लागतो, भक्ति करीने शुद्ध समकित हुं मांगतो; समकित आपीने मने सहाय करो रे .... माणिभद्र.... (१) देव अरिहंत भव तारक आराधवा, निग्रंथ गुरु शुद्ध संयम उपासवा; रहेजो हजूर नित्य सहाय परो रे.... माणिभद्र.... (२) यक्षनिकाय सुर इंद्र तुं भलेरो, अकावतारी प्रभुभक्तोमा वडेरो; द्रव्यभाव भक्ति योग विघ्न हरो रे.... माणिभद.... (३) सप्तसूंढ धारी नाग उपर बिराजतो, आयुधयुक्त षड्हस्तरूप धारतो; दुरित निवारी भक्त आश पूरो रे.... माणिभद्र.... (४) वक्त्र वराहनुं धार्यु तमे देवता, भक्तो उपासी तुज आशीर्वाद लेवता; भद्र कल्याण सुखकार खरो रे.... माणिभद्र.... (५) शक्ति अनोखी देव संघ शिरछत्रतु, तारा प्रभावे नूर संघतणु वाधतुं; जागतो तुं जक्षराज ज्योतिधरो रे.... माणिभद्र.... (६) स्तुति तपागच्छना रक्षक तमे छो माणिभद्र सुखरा प्रभुभक्तनी पीडा हरीने सर्वदा जगमितकरा वीश सहस सुरना अधिपति छो, देव अक ज भवधरा आगामी भवमां मोक्षप्रापक आपना शरणा खरा । षडहस्तधारक हस्तिवाहन शूकर मुख धारक तमे जमणे गदा त्रिशूल अने वरदान दायक छो तमे । डाबे बीजोरू डमरू ने वळी नागपाश धरा तमे यक्षेश माणिभद्र आशापूरक सहुना छो तमे। Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.005141
Book TitleYakshraj Shree Manibhadradev
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNandlal B Devluk
PublisherArihant Prakashan
Publication Year1997
Total Pages860
LanguageGujarati
ClassificationBook_Gujarati
File Size39 MB
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