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(30) जावीसमा तीर्थर श्री नेमिनाथ प्रभुत हैरी
स्तुति: यदुवंश-समुन्द्रेन्दुः, कर्म-का-हुताशनः।
अरिष्ट नेमि-भगवान, भूयाद्वोऽरिष्ट नाशनः
श्री नामनाथ प्रमको टॉक
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