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[ कालकाचार्य-२ भाष्यमा छे; एटले बीजा अनेक प्राचीन जैन आचार्योनी जेम तेओ नैमित्तिक-ज्योतिषी हता. वळी निमित्तशास्त्रमा जैन आचार्यों करतां पण ए काळे आजीवको चढियाता हता एम आ उल्लेख पुरवार करे छे. ___कालकाचार्य एक ग्रन्थकार पण हता एनो पुरावो मळे छे. सुप्रसिद्ध जैन कथाग्रन्थ 'वसुदेव-हिंडी'ना प्रारंभमां 'प्रथमानुयोग'नो आधार टोक्यो छे अने 'वसुदेव-हिंडी'नी कथानो सारांश 'प्रथमानुयोग' ग्रन्थमाथी उद्धृत थयो होवानुं सूचन त्यां करवामां आव्यु छे. संघदासगणिना 'पंचकल्प' भाष्य प्रमाणे 'प्रथमानुयोग'ना कर्ता आर्य कालक हता. बारमा अंग 'दृष्टिवाद'-अंतर्गत 'मूल प्रथमानुयोग' जेनो सविस्तर उल्लेख 'नंदिसूत्र 'मां श्रुतज्ञाननुं स्वरूप वर्णवतां करेलो छे ते सुसंबद्ध ग्रन्थरूपे नष्ट थतां तेनो पुनरुद्धार आर्य कालके कर्यो होय एम अनुमान थाय छे. पण आर्य कालकनो पुनरुद्धृत 'प्रथमानुयोग' पण आजे घणा सैका थयां नाश पामी गयेलो छे.
कालकाचार्य विशेना प्रासंगिक उल्लेखो पण आगम साहित्यमां अनेक स्थळे छे. ___आगमोत्तर साहित्यमां पण कालकाचार्यनी कथा ए साहित्यरचना माटे एक खूब ज लोकप्रिय विषय रह्यो छे. संस्कृत, प्राकृत तेम ज जूनी गुजरातीमां-गद्यमां तेम ज पद्यमां मोटी संख्यामां जुदा जुदा ज्ञात तेम ज अज्ञात लेखकोने हस्ते कालकाचार्यनी कथाओ रचाई छे अने 'कल्पसूत्र' तेम ज 'उत्तराध्ययन' जेवा आगमसाहित्यना पवित्र ग्रन्थोनी जेम 'कालकाचार्य कथा'नी पण सचित्र हस्तप्रतो मळे छे."
'प्रज्ञापना सूत्र'ना कर्ता आर्य श्यामने केटलाक विद्वानो कालकाचार्यथी अभिन्न गणे छे." . उपर्युक्त बे कालकाचार्य.. उपरांत ए ज नामना - त्रीजा एक
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