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अशकटापिता]
[१७ सर्ग कर्यो, एना सुकुमार पगमाथी लोही टपकतुं हतु तेनी वासथी पोतानां बच्चों सहित आवेली एक शियालणी अवंतिसुकुमालनु शरीर खाई गई अने ए कालधर्म पाम्या. एक सगर्भा पत्नी सिवाय एमनी एकत्रीस पत्नीओए तथा माताए दीक्षा लोधी. सगर्भा वधूथो जन्मेला पुत्रे पोताना पिताना मरणस्थान उपर एक देवमन्दिर कराव्यु, जे महाकाल तरीके ओळखाय छे.'
१ आबू, उत्तर भाग, पृ १५७. आगमसाहित्यमा अन्यत्र अवंतिसुकुमालना उल्लेखो माटे जुओ व्यम, पृ. ८०, तथा मस (गा. ४३५३८), संप्र (गा. ६५-६६) अने भप (गा. १६.). हेमचन्द्रे आ प्रसंगर्नु वर्णन वधु विस्तारथी कयु छे; जुओ 'परिशिष्ट पर्व,' सर्ग ११, श्लो. १५१-७७. अवन्तिसुकुमालना मृत्यनुं स्थान आचूमा ‘स्मशाना कंथार. कुडंग' अने मसमा 'वंशकुडंग' बतावेलुं छे. आज पण ए स्थळे कुडंगेश्वरनुं स्थान छे एम मस (गा. ४३८) नोंधे छे. कुडंगेसर,' 'कुडंगेश्वर' अथवा 'कुडुंगेश्वर' एवा नामे आ स्थाननो निर्देश अनेक प्रबन्धात्मक प्रन्थोमां छे. 'विविधतीर्थकरुप' (१४मो सैको)नी कोई कोई प्रतोमां एनो 'कुटुंबेश्वर' एवो पाठ छे अरा, भाग ३, पृ. ५७८).आ 'कुटुंबेश्वर' नाम स्कन्दपुराणना आवन्त्यखंडमां पण छे ए सूचक "छे (पुगु, पृ. ३०). महाकाल अने कुडगेश्वरनी एकता संबंधमं जुओ 'विकमस्मृतिप्रन्थ'मा डा. शार्लोटे काउझेनो लेख 'जैन साहित्य और महाकाल मन्दिर.'
अशकटापिता
___ आभीर जातिना एक साधु. एमर्नु नाम अशकटापिता पड्यु ए विशे आवी कथा आपवामां आवे छेः ज्यारे गृहस्थावस्थामा हता त्यारे एमने त्यां अत्यंत रूपवती पुत्री जन्मी हती. ए मोटो श्रया पछी एने गाडानी आगळ बेसाडीने एओ जता हता, ते समये ए तरुणीने जोबा माटे पाछळ आवता आभीर तरुणोए आगळ पहोंची जवानी स्पर्वामां पोतानां गाडां उत्पथ उपर लई जतां गाडां भांगी गया. आथी लोकोए ए तरुणीनुं नाम 'अशकटा' अने एना पितानु 'अशकटापिता'
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