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अगडदत्त
अगडदत्तनी कथा उत्तराध्ययन सूत्र (अध्य, ४) उपरनी शान्तिसूरिनी वृत्ति (पृ. २१३-१६)मां तथा ए ज सूत्र उपरनी नेमिचन्द्रनी वृत्ति (पृ. ८४-९४)मां आवे छे. शान्तिसूरिकृत वृत्त्यन्तर्गत कथा प्रमाणे, अगडदत्त उज्जयिनीना जितशत्रु राजाना रथिक अमोघरथनो पुत्र हतो (नेमिचन्द्र प्रमाणे, शंखपुरना राजा सुन्दरनो पुत्र हतो). पिताना मरण पछी अस्त्रविद्या शीखवा माटे ए पिताना एक मित्र पासे कौशांबीमा गयो (नेमिचन्द्र प्रमाणे, अगडदत्तना स्वच्छंदाचारथी कंटाळी गजाए एने देशवटो आप्यो; चाराणसीमां पवनचंड नामे एक कलाचार्य साथे परिचय थतां एने त्यां रही अगडदत्त अभ्यास करवा लाग्यो). त्यां विद्या शीख्या पछी गुरुनी आज्ञा लई पोतानी प्रवीणता दर्शाववा माटे ए राजकुलमा गयो; नगरमां अश्रुतपूर्व संधिच्छेद करता-खातर पाडता एक चोरने पकडी लाववानी राजाए सूचना करतां एणे युक्तिपूर्वक ए चोरने तेम ज एणे एकत्र करेलो भंडार साचवनारी एनी बहेनने-बन्नेने पकडी लीयां.
____ शान्तिसुरिनी वृत्तिमां अगडदत्तनी कथानो आटलो ज अंश आवे छे; पण नेमिचन्द्रवाळी कथामां प्रसंगविस्तार लांबो छे. चोर पकडवाना एना पराक्रमथी प्रसन्न थईने राजाए अगडदत्तने पोतानी पुत्री कमलसेना परणावी. कमलसेनाने तथा अगाउ कौशांबीमां अस्त्रविद्या शीखतां जेनी साथे पोताने प्रेम थयो हतो ते, श्रेष्ठी बंधुदत्तनी पुत्री मदनमंजरीने साथे लईने मार्गमा अनेक पराक्रम करतो अगडदत्त घेर जाय छे अने सुखपूर्वक रहे छे, पण एक बार पोतानी पत्नीनु दुश्चरित जाणवामां आवतां निर्वेद पामी दीक्षा ले छे.
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