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________________ नंचू : नंदिसूत्र चूर्णि-जिनदासगणि महत्तरकृत (. स. नो ७ मो सैको) : प्रकाशक ऋषभदेवजी केशरोमलजी श्वेतांबर संस्था, रतलाम, ई. स. १९२८ नंम : नंदिसूत्र-आचार्य मलयगिरिनी वृत्ति ( ई. स. नो १२मो सैको ) : प्रकाशक आगमोदय समिति, मुंबई, ई. स. १९२४ नंसू : नंदिसूत्र ( उपर 'नम' वडे निर्दिष्ट संस्करण ) नंहा : नंदिसूत्र-हारिभद्रीया वृत्ति (ई. स. नो ८ मो सैको) : - प्रकाशक ऋषभदेवजी केशरीमलजी श्वेतांबर संस्था, रतलाम, ई. स. १९२८ पाय : पाक्षिकसूत्र-यशोदेवसूरिनी वृत्तिः ( सं. ११८८ ई. स. ११२४ ) : प्रकाशक दे. ला. जैन पुस्तकोद्धार फंड, मुंबई, सं. १९६७. पिनिम : पिंडनियुक्ति-भाष्य अने मलयगिरिनी टीका ( ई. स. नो १२ मो सैको ) सहित : प्रकाशक आगमोदय समिति, मुंबई, सं. १९७४ पुगु : पुराणोमां गुजरात : उमाशंकर जोषी, अमदावाद, ई.स. १९४६ प्रच : प्रभावकचरित ( सं. १३३४ ई. स. १२७८ )-प्रभाचन्द्र सूरिकृत : संपादक मुनि जिनविजयजी, अमदावाद कलकत्ता, ई. स. १९४० प्रम : प्रज्ञापना सूत्र-मलयगिरिनी वृत्ति ( ई. स. नो १२मो सैको): प्रकाशक आगमोदय समिति, मेसाणा, पूर्वार्ध-उत्तरार्ध, सं. १९७४-७५ प्रव्या : प्रश्नव्याकरण सूत्र (नीचे 'प्रव्याअ' वडे निर्दिष्ट संस्करण) Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.005124
Book TitleJain Sahitya ma Gujarat
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBhogilal J Sandesara
PublisherGujarat Vidyasabha
Publication Year1952
Total Pages316
LanguageGujarati, Sanskrit
ClassificationBook_Gujarati
File Size11 MB
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