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श्रीमाल ]
[ १७९ जुओ कुशावर्त १ आचू , गा. १२८९; आचू, उत्तर भाग, पृ. १९३. २ मुनि कल्याणविजय, ‘श्रमण भगवान महावीर,' पृ. ३९६-९७ ३ जैन, ‘लाइफ इन एश्यन्ट इन्डिया,' पृ. ३३५
श्याम आर्य
परंपरानुसार, आर्य श्याम प्रज्ञापना सूत्र 'ना कर्ता गणाय छे.'
आर्य श्याम तथा आर्य कालक के कालका चार्य एक होवा संभव छे एवो केटलाक विद्वानोनो मत छे, पण कालकाचार्य एक करतां वधु थया छे जेमांथी कोने आर्य श्याम गणवा एनो निर्णय सरल नश्री एम तेओए ज स्वीकार्यु छे. बीजा केटलाक एम माने छे के पहेला कालकाचार्य जेओ ' निगोदव्याख्याता' तरीके प्रसिद्ध छे तेओ ज़ आर्य श्याम छे.
१ विको, पृ. १४२; नंम, पृ. १०५, ११५, ११८; आम, पृ. ५३६; श्रापर, पृ. १३३, इत्यादि
२ पं. बेचरदासकृत 'भगवती सूत्र, ' अनुवाद, भाग २, पृ. १३९-४०, टिप्पण
३ 'कालककथासंग्रह,' उपोद्घात, पृ. ५२. जुओ कालकाचार्य-१ श्रीचन्द्रमुरि
चंद्रकुलना शीलभद्रसूरिना शिष्य धनेश्वरसूरिना शिष्य. एमणे सं. १२२७ ई. स. ११७१ मां अणहिलवाडमा ‘जीतकल्प सूत्र 'नी बृहच्चूर्णि उपर विषमपदव्याख्या रची छे.'
१ जीकचूल्या, प्रशस्ति. श्रीचन्द्रसूरिना अन्य अन्धो माटे जुओ जैसाइ, पृ. २४३. श्रीमाल ___ कल्पसूत्र 'नी विविध टीकाओमा ‘राज्यदेशनाम ' आप्यां छे तेमां श्रीमाल पण छे.'
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