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भूलदेव ] चोर दिवसे लंगडा तूनारा तरीके रहेतो ने रात्रे शहेरमा खातर पाडीने - लोकोने त्रास आपतो. एक वारना चोर मूलदेवे युक्तिप्रयुक्तिथी मंडिकने पकडयो अने तेनी पासेनुं बधुं द्रव्य लई लीधा पछी एने शूळोए चढाव्यो.'
'व्यवहारसूत्र 'नां भाष्य तथा वृत्तिमां मूलदेवना राज्याभिषेकनो वृत्तान्त संक्षेपमां अने सहेज जुदी रीते आप्यो छे. वळी त्यां नगरनु नाम पण नथी. चोरी करतां पकडायेला मूलदेवनो वध करवानी राजाए आज्ञा करी हती, पण ए पछी तुरत ज राजा एकाएक मरण पाम्यो. राजा अपुत्र हतो, तेथी एनी पछी कोनो राज्याभिषेक करवो ए प्रश्न उपस्थित थयो. वैद्य अने मंत्रीए राजाना मरणनी बात गुप्त राखीने तथा राजा बोली शकता नथी एम जणावी, पडदामाथी राजानो हाथ लाबो करावी तेओ मूलदेवना अभिषेकनी सूचना करता होवार्नु जणाव्यु. पछी एक वारनो आ चोर राजा थयो होवाथी सामंतो तेनुं योग्य सन्मान करता नहोता. राजदरबारमा पोतानी उपेक्षा करता सामंतोने जोईने मूलदेव बोल्यो के ' मारी आज्ञा पाळनार कोई छे के नहि !' ए समये तेना पुण्यप्रभावथी राज्यदेवता वडे अधिष्ठित श्रयेला चित्रमय प्रतीहारोए केटला ये सामंतोनां माथां कापी नाख्यां. आथी बाकीना सामंतो ताबे थई गया.' ____ आचार्य हरिभद्रसूरिए (वि. सं. ७५७-८२७ ई. स. ७०१७७१) नर्म अने कटाक्षथी भरेलु 'धूर्ताख्यान' नामे एक प्राकृत कथानक रच्यु छे, जेमां मूलदेव एक पात्र तरीके आवे छे. आ धूर्ताख्याननुं वस्तु 'निशीथ सूत्र'नां भाष्य अने चूर्णिमा मळे छे. एमां मूलदेव, एलाबाद, अने शश ए त्रण धूर्ती तथा खंडपाना नामे धूर्तानी वात छे. एमांना प्रत्येक धूतनी साथे बोजा पांचसो धूर्तो अने खंडपानानी साथे पांचसो धूर्ताओ हती. एक वार भरचोमासामा उज्जयिनीनी उत्तरे आवेला जीर्णोद्यानमा ए बधां ठंडीथी थरथरतां भूखे मरतां बेठां हतां त्यार मूलदेवे एम का के
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