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________________ ૨૦૮ ] arras एक अनार्य जाति, जे लूटपाट करी त्रास वर्तावती हती. आगमसाहित्यमा बोकिने मालवोथी अभिन्न गण्या छे. जुओ मालत्र - १ बळी जुओ उज्जयिनी, मथुरा ब्रह्मद्वीप आमीर देशमां कृष्णा अने वेणा नदीना संगम आगळ आवेलो एक द्वीप. त्यां वसता पांचसो तापसोने आर्य वज्रना मामा आर्य समित सूरिए प्रतिघोष माड्यो हतो. ए प्रतिबोध पामेला साधुओश्री जैन साधुओनी ब्रहृदीपक शाखानो प्रारंभ थयो हतो.' 'नंदिसूत्र'ना प्रारंभ आपली देवर्द्धिगणिनी गुरुपरंपरामा सिंहसूरने 'ब्रह्मद्वीपक सिंह' का छे. 2 [ बोधिक १ आचू, पूर्व भाग, पृ. ५४३; आम, पृ. ५१५, कसं, ट १३२; कसु, पृ. १३४; ककि, पृ. १७१; कदी, पृ. १४९ - १५० नंसू, पृ. ५१; पिनिम, पं. १४४. २ जुओ देवर्द्धिगणि क्षमाश्रमण. भट्टि आचार्य २ दूष्यमणि क्षमाश्रमणना शिष्य भट्टि आचार्यनो मत ' सूत्रकृतांग सुत्र 'नी चूर्णिमां टांकेलो छे.' जैन परंपरा अनुसार, मूळ आगमोने संकलित रूपे लिपिबद्ध करावनार देवर्द्धिगणि दूष्यगणिना शिष्य छे. भट्टि आचार्य ए देवगिणिनुं जीजुं नाम हतुं के तेमने मानार्थे भट्टि (सं. भर्म) आचार्य एटले मुख्य आचार्य कहेवामां आवता हता के पछी भट्टि आचार्य दूष्यगणिना बीजा ज कोई शिष्य जेमने विशे अयार सुधीमां कई जाणवामां आव्युं नथी एमनुं नाम हशे ए निश्चितपणे कहेतुं मुश्केल छे. Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.005124
Book TitleJain Sahitya ma Gujarat
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBhogilal J Sandesara
PublisherGujarat Vidyasabha
Publication Year1952
Total Pages316
LanguageGujarati, Sanskrit
ClassificationBook_Gujarati
File Size11 MB
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