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प्रयोत ]
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पोताना एक दासने गांडानो वेश धारण करायो हतो अने तेने प्रद्योत नाम आप्युं हतुं. एने दररोज खाटलामां बांधीने वैद्य पासे लई जवामां आवतो त्यारे ते ' हुं प्रद्योत कुं' एवी बूमो पाडतो हतो. हवे, पेली
गणिकाओ जे अभयकुमार साथै रहेती हती तेमना सौन्दर्यथी आकर्षाने एमनी कामना करतो प्रद्योत संकेत अनुसार त्यां अन्यो, एटले तेने अभयकुमारनी सूचना थी पकडी लेवामां आव्यो, अने 'हुं प्रद्योत कुं' एवी बूमो ते पाडतो रह्यो अने एने उज्जयिनी बच्चेथी खाटलामां बांधने उपाडी जवामां आग्यो. नगरजनोए तेनी बूमो सांभळीने मान्युं के पेला प्रयोतनामधारी गांडाने दररोजनी जेम वैधयां लई वामां आवे छे. राजगृहमां श्रेणिके प्रद्योदनो वध करवानो विचार कर्यो, पण अभयकुमारे तेने एम करतां अटकाव्योः पाछळथी प्रद्योतने मुक्त करवामां आव्यो हतो. *
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सिन्धु - सौवीरना राजा उदायन साधे पण प्रद्योतने युद्धनो प्रसंग आव्यो हतो. उदायन पासे जीवंतस्वामी महावीरनी एक सुन्दर काष्ठप्रतिमा हती अने उदायननी देवदत्ता नामे एक कुब्जा दासी ए प्रतिमानुं संगोपन करती हती. प्रतिमाने वंदन करवा माटे गांधारथी आवेला एक श्रावके आपेली गुटिका लेवाथी ए दासीनो काया कांचनवर्णी बनी गई हती अने ते सुवर्णगुलिका तरीके प्रसिद्ध थई हती. नलगिरि हाथी उपर आबीने प्रयोते ए दासोनुं हरण कर्तुं हतुं अने एना आग्रहने कारणे पेली काष्ठप्रतिमा पण साये लोधी हती. आ खबर पडतां उदायन दश राजाओने सहायमा लईने उज्जयिनी उपर चडी आव्यो अने प्रयोतने पराजित कर्यो प्रयोत केद्र पकडायो अने उदायने एना कपाळ पर ' दासीपति' शब्द अंकित कर्यो. प्रतिमाने लेवा माटे उदायने घणो प्रयास कर्यो, पण ए तो एना स्थानेथी चलित भई नहि. एटले प्रयोतने लाईने उदायन पाछो सिन्धु-सौवीर तरफ चाल्यो. मार्गमां चालतां पर्युषणनो समय आग्यो अने तेमां प्रद्योते उपवास करवानी
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