SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 155
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ १०२ ] [ प्रयोत उज्जयिनी भारतनां सौथी समृद्ध नगरो पैकी एक हतुं. एना समयमां उज्जयिनीमां नव कुत्रिकापण-त्रिभुवननी सर्व वस्तु जेमां मळे एवा वस्तुभंडारो हता. प्रद्योतना जीवननो घणो भाग पोताना पडोशी राजाओ जे एना साढुओ थता हता एमनी साथे लडवामां गयो हतो. पडोशी राज्यो साथेना आ कलहना परंपरागत वृत्तान्तो आगमसाहित्यमां मळे छेः .. एक बार प्रद्योते राजगृह नगर घेयु. राजगृहना राजा श्रेणिकनो नंदा राणीथी थयेलो पुत्र अभयकुमार जे एनो मंत्री पण हतो तेणे प्रद्योत आव्यो ते पहेलां एना स्कंधावारनिवेशनी जग्या जाणी लीधी हती अने त्यां घणुं धन दटाव्युं हतुं. पछी प्रद्योते आवीने पडाव नाख्यो एटले अभयकुमारे कहेवराव्यु के " तमारुं आखू सैन्य मारा पिताए फोडी नात्यु छे; आ वात उपर विश्वास न पडतो होय तो छावणीमां खोदीने जुओ." आ प्रमाणे खोदतां द्रव्य नीकळ्यु, एटले प्रद्योत डरीने नासी गयो. पण पाछळथी वस्तुस्थिति जाणवामां आवतां प्रद्योते अभयकुमार उपर रोषे भराई तेने केद करवानो निश्चय कयों, तेणे एक गणिकाने राजगृह मोकली अने सहायक तरीके बोजी केटलोक गणिकाओ आपी. गणिकाए एक धर्मप्रेमी जैन विधवानो वेश धारण कर्यो. चैत्यपरिपाटीमां सौ अभयने घेर गया. त्यां तेणे धर्मप्रेमी अभयने पोताने घेर जमवानुं निमंत्रण आप्युं अने भोळवीने मद्यपान करावी, केद करीने अवंति भेगो को. त्यां अभयकुमारे चातुर्यथी प्रद्योतने प्रसन्न कर्यो, एटले प्रद्योते एने छोडी मूक्यो, पण ए समये अभयकुमारे प्रयोतने कह्यु के “ तमे मने कपटथी पकड़ी आण्यो हतो, पण हुं तो तमे पोकारो पाडता हशो अने अहीथी तमने उपाडी जईश." थोडा समय पछी अभयकुमार राजगृहथी बे गणि. काओ लईने आव्यो अने वेपारीने वेशे उज्जयिनीमा रहेवा लाग्यो. तेणे Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.005124
Book TitleJain Sahitya ma Gujarat
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBhogilal J Sandesara
PublisherGujarat Vidyasabha
Publication Year1952
Total Pages316
LanguageGujarati, Sanskrit
ClassificationBook_Gujarati
File Size11 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy