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प्रदेशोने हमेशां आपी शकायुं नथी.''
प्रत्येक अगत्यना विधान माटे मूळ साहित्यनो आधार आप्यो छे, जेथी अभ्यासीने ते ते स्थान जोवानुं सरळ पडे. ग्रन्थनुं शीर्षक सूचवे छे ते प्रमाणे निरूपण मुख्यत्वे जैन आगमसाहित्यमाथी प्राप्त थती सामग्रीने अनुलक्षीने कयु छे, छतां ए ज विषयोने लगती सामग्री अन्य साधनोमाथी अनायासे प्राप्त थई छे त्यां तेनो पण तुलनात्मक विनियोग कर्यों छे. ___ आ संकलनामां प्राचीन भारत तेमज प्राचीन गुर्जर देशना इतिहास परत्वे जे ज्ञातव्य वस्तुओ छे ते माटे जिज्ञासु वाचकने प्रस्तुत विषयोनां शीर्षको जोवा भलामण छे. पण एमांथी प्रधानपणे ऊपसी आवता केटलाक मुद्दाओ प्रत्ये आ प्रस्तावनामा ध्यान खंचवानुं घटित जणाय छे.
सौ पहेलो जातिओ देशनाम अने स्थळनाम लईए: जातिओनां नाम उपरथी देशनाम पडेलां छे ए दृष्टिए बन्नेने साथे लेवामां एक प्रकारर्नु औचित्य पण छे.
आभीर जातिनी वसाहतो, उत्तरोत्तर दक्षिण दिशामां खसती जती हती एवा 'पुराणोमां गुजरात ' (पृ. ४५) ना अनुमानने जैन आगमसाहित्यमांथी स्पष्ट अनुमोदन मळे छे. आभीर देश दक्षिणापथमा हतो एवं विधान अहीं छे, एटलं ज नहि, पण आभीर देशनां जे नगरो अचलपुर, वेणातट, तगरा इत्यादि गणाव्यां छे ए पण दक्षिणापथनां छे (पृ. २०). आम छतां अन्यत्र पण आभीरो हता; जेमके कच्छमां आमीरो जैन-धर्मानुयायी होवार्नु कयुं छे (पृ. ५). 'सूत्रकृतांग सूत्र'नी शीलांकदेवनी टीका प्रमाणे, शूद्रने खीजमां 'आभीर,' वणिकने 'किराट' अने ब्राह्मणने 'डोड' कहेता. ए सूचवे छे के शीलांक: - १. उमाशंकर जोषी : 'पुराणोमां गुजरात ', प्रास्ताविक, पृ. ११
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