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अनुमोदनीय - अनुककरणीय - अपूर्व , अनोखा, अभिनंदनीय ऐतिहासिक संघ हस्तगिरि से सिद्धाचल व गिरनार छ:री पालित संघ
ता. १३-१२-०८ से ता. ३०-१२-०८ तक आयोजक
आयोजक
नीतील
पावन निश्रा शा देवराजजी हस्तीमतजी राका गा मांगीलालजी हस्तीमतजी | प.पू. आचार्य देव श्रीमद् विजय रामचन्द्र सूरीश्वरजी म.सा.. सादही (राजपुरवलोर गौतमचंद, सुरेशकुमार भंडारी परिवार
| के शिष्यरल प.पू. मुनिराज श्री मुक्तिधन विजयजी म.सा, एवं श्रीमती शान्तिबाई गंभीरमतजी दाफणा |
वसंत देवसं.२०ीतेत सादडी (राणकपुर), कोईम्बत्तूर |
प.पू. मुनिराज पुण्यधन विजयजी म.सा. 'सानिध्य : प.पू. साध्वीजी श्री सूर्यमालाश्रीजी म.सा. आदि ठाणा
मरुधर में मारवारजं.
शा पराज. जीवराजपुरमनंट । श्रीमती मापुन चोधाताल नयन्तिताल, अशोककुमात्र, शालय । नरेन्द्रकुमार श्रीमती पानीलाई गुणेशमानजी
ग मलाल, विनोदकुमार,
| सुरेन्द्रकुमार, जितेन्द्रकुमार ओस्तवालाणी पीवान गढवामा पार)
(गुजरात) ज ओस्तवाल एण्ड जैर. (मी. २) तोर फर्म: गुरु गोतम गुप, बेंगलोर
विरगती
ता. १२-१२-०८ को प्रातः ५-०० बजे शहनाईओं के सर के साथ गरु भगवंतों, साध्वीजी भगवंतों एवं सभी यात्रिकों के साथ हस्तगिरि की यात्रा की गई। भक्तामर पाठ, स्नात्र पूजन , चैत्यवंदन दर्शन के साथ हस्तगिरि की यात्रा सभी को खूब मनभावन बनी। प्रात: ९-०० बजे शान्तिपूजा विधान एवं संघयात्रा विधान खूब अद्भूत भक्तिमय बना । संघ प्रयाण पूर्व का दिन इतना भक्तिमय देखकर सब कह रहे थे कि यह संघ अपूर्व ही होगा। खूब झमे नाचे सभी यात्रिक!!! रात्रि में सभी यात्रिकों को बेडिंग , रग, कीट वितरीत की गई जिसमें ४० चीजे धी, सारी रात्रि तैयारिओं में विती अबघडी थी मंगल प्रयाण की आयारे अवसर आनंदना............. प्रातः ५-०० बजे प्रतिक्रमण करके श्री आदिनाथ दादा के दर्शन चैत्यवंदन एवं भक्तामर पाठ कर अयोध्यापुरम से परमात्म रथ, हाथी, घोडा बगी, उंटगाडियों के साथ बेन्ड एवं शहनाईओं की सरावली एवं यात्रिकों द्वारा जयजयकार के साथ दक्षिण की मैसुर पगडीयों एवं जैन जयति शासनम् के ज्वाजल्यमान दुप्पट्टा के साथ संघ का मंगलप्रयाण, देखने जैसा नजारा था। नाच रहे थे कार्यकर्ता... लब्धि गुप के बालक - वालिका व्ययवस्थापक भक्ति की धून में मस्त थे तो आराधकों की मस्ती कुछ ओर थी। इसी समय सभी ने कहा आसंघने जेणे निरख्योहशेते धन्य छे.......
संघ का मुकाम कार्यक्रम क्र.सं दिनांक वार
गाँव का नाम कि.मी १ १२-१२-०८ शुक्रवार हस्तगिरी यात्रा तथा शांतिविधान २ १३-१२-०८ शनिवार हस्तगिरी से रोहीशाला ३ १४-१२-०८ रविवार पालीताणा प्रवेश ४ १५-१२-०८ सोमवार पालीताणा तीर्थयात्रा घेटीपाग १ ५ १६-१२-०८ मंगलवार घेटीपाग से मानगढ़ ६ १७-१२-०८ बुधवार मानगढ से गारीयाधर ७ १८-१२-०८ गुरुवार
गारीयाधर से टीबडी ८ १९-१२-०८ शुक्रवार टीवडी से सलडी
सतडी से बालाहनुमानजी १० २१-१२-०८ रविवार बालाहनुमानजी से पाणीया १६ ११ २२-१२-०८ सोमवार पाणीया से माटा मुजियासर १५ १२ २२-१२-०८ मंगलवार मोटा मुजियासर से नकतंग आश्रम १० १३ २४-१२-०८ बुधवार नकलंग आश्रम से अजाणी पीपलीया ८ १४ २५-१२-०८ गुरुवार अजाणी पीपलीया से नवालीया १
शुक्रवार नवालीया से बीलखा (गौशाला) १२ १६ २७-१२-०८ शनिवार बीलखा से डूंगरपुर १४ १७ २८-१२-०८ रविवार डुंगरपुर से जुनागढ तलेटी १२ १८ २९-१२-०८ सोमवार गीरनारजी तीर्थयात्रा १९ ३०-१२-०८ मंगलवार
संघमाता
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भारत वर्ष के इतिहास में संघ निकातना बडी बात नहीं। पुण्योदय से प्राप्त लक्ष्मी का सदुपयोग करनेवाले भाग्यशाली ऐसे आयोजन करते ही रहते हैं, मगर पुण्यप्राप्त लक्ष्मी का उपयोग पुण्यानुबंधी पुण्य प्राप्त आयोजनों में करनेवाले विरले ही होते हैं। बेंगलोर नगर से एक ऐसा अद्भूत आयोजन हुआ जो आज तक के जैन जगत के इतिहास में अंकित संघों में शिरमौर बना। आईए हम सब इस छ:री पालित संघ आयोजन की स्वर्णिम घड़ियों का स्मरण कर अनुमोदन कर अपने पुण्य को भी उंचाईओं के शिखर तक पहुँचाएँ।
प्राध्यापक सुरेन्द्रभाई सी. शाह जैन जगत का एक ऐसा नाम है जिनसे शायद ही कोई अनभिज्ञ है। । प्राध्यापक के साथ तपस्वी , वक्ता, सुविशुद्ध विधिकारक , लेखक, संपादक, मार्गदर्शक, आयोजक, हर आयोजन में प्राण फूंकनेवाले, सदा बहार, सदैव खूब हसते हैं। सब को खूब हसाते हैं । आराधना में जूटानेवाले, जिनमंदिर, उपाश्रय निर्माणकर्ता नवाणु यात्रा आदि अनेक कार्यों से आपने पुण्य को सुदृढता प्रदान करनेवाले उनके मन में छःरी पालित संघ की भावना.... उनकी १७ वे वर्षांतप की आराधक मातुश्री मधुबेन चोथालाल की भावनानुसार एवं पू.साध्वीजी सुर्यमालाश्रीजी म.सा. की शिष्या उज्ज्वलज्योतिश्रीजी म.सा.(बहन म.सा.) की प्रेरणा से जागृत हुई । पालिताणा रांका- बाफणा(मामा भानजे) परिवार आयोजित चातुर्मास दौरान पू. मुनिराज श्री मुक्ति धन विजयजी म.सा., पू.मुनिराज.श्री पुण्यधन विजयजी म.सा. की पावन निश्रा में महोत्सव में छ:री पालित संघ की हर्षोल्लास के साथ जय बुलाई। शा हस्तीमलजी भंडारी परिवार, मारवाड जंक्शन रांका बाफणा परिवार सादडी राणकपुर श्रीमती मधुबेन चोधालाल जेठालाल परिवार धरा शाजीवराजजी गुणेशमलजी ओस्तवाल गढसिवाणा आदि पुण्यवान संघ आयोजक रुप में जुट गये ___ता, १३-१२-०८ का संघ प्रयाण का शुभ मुहूर्त निश्चित हुआ। आराधना के एक मात्र लक्ष्य से आयोजित इस संघ में जुटने पधारने आमंत्रण पत्रिका द्वारा आमंत्रण दिया गया। अब बात ही क्या ! जिसमें सुरेन्द्र गुरुजी कैसे आयोजक रूप में जुटे हो, जिनके निर्देशन में संघ के करीबन ७००० आवेदन पत्र वितरीत हुए। संख्या लेने धी ५०० की करीबन ६०० आराधक चुने गये । प्रतिदिन नित नये आयोजनों के साथ ऐतिहासिक संघ की विशिष्ठ तैयारियाँ प्रारंभित हुई। संघवीजीसंधने जात्रा करावो. ता. ९-१२-०८ मौन एकादशी के दिन चिकपेट मंदिरजी में संघ यात्रा प्रयाण पूर्व भव्य स्नात्र के साथ शान्ति विधान हआ। क्या नाचे आयोजक !!! सारा वातावरण भक्तिमय था!!! श्री आदिनाथ जैन संघ चिकपेट द्वारा बहुमान कर संघवीजी का अभिनंदन किया गया । संघवी एस. देवराज परिवार के संघवी दुर्लभजी ने संघ विदाय तिलक किया। दोपहर ट्रेन द्वारा २०० यात्रिकों के साथ विशाल संख्या एवं विशिष्ठ व्यक्तिओं ने संघ को विदाई दी । चेम्बर आदेश्वर दादा के दर्शन पूजन कर बान्द्रा से ट्रेन द्वारा ता. ११-१२ को रास्ते में प्रभु भक्ति करते सोनगढ उतरे। दोपहर १-०० बजे बस द्वारा हस्तगिरि में संघ का स्वागत हुआ। अब सभी तैयारियाँ चरम सीमा पर पहुंची । सभी का मन खुशियों से झूम रहा था। भावनाएं परिपूर्ण होने का आनंद संघवी परिवार के चेहरे पर स्पष्ट दिख रहा था।
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दो घंटो तक पूरे रास्ते में सुरेन्द्र गुरुजी द्वारा भक्ति की धून मंत्राक्षरों का सामुहिक उच्चारण के साथ रास्ता कब कट गया - मालुम ही न हुआ। जय जयकारों के साथ पहुंचे मुकाम पर रोहीशाला ....संघ का सामेया भी बादशाही... बाद में प्रभु भक्ति की रमझट .... मुकुट बद्ध आराधकों के साथ भव्य स्नात्र एवं १०८ पार्श्व महापूजन चामरो की रमझट एवं नृत्य तो पूरे दोपहर दो बजे तक चली । क्या ठाठ प्रभु भक्ति का....एकाशन की व्यवस्था भी
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