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________________ २६८ प्राचीन जैनलेखसंग्रहे तृव्य गरीबदास प्रमुख सश्रीकपरिवारेण सं० रूपजीकारितशत्रुंजयाष्टमोद्धार मध्यस्वयं कारितप्रवरविहारगारहारश्री आदिश्वर बिंबं कारितं ( 4 ) पितामहवचनेन प्रपितामहपुत्र मेवा कोझा रतना प्रमुख पूर्वजनाम्ना प्रतिष्ठितं श्रीबृहत्खरतरगच्छाधीशसाधूपद्रववारक प्रतिबोधितसाहिश्रीमद कब्बर मदत्तयुगमधानपदधारक श्रीजिनचंद्रसूरि (5) जहांगीर साहिप्रदत्तयुगप्रधानपदधारक श्रीजिनसिद्धसूरिपट्टपूर्वाचल सहस्रकरावतार प्रतिष्ठितश्रीशत्रुंजयाष्टमोद्धारश्रीभाणवटनगर श्री शांतिनाथादिबिंदप्रतिष्ठा समयनिर्झरत्सुधारसश्रीपार्श्वप्रति (6) हारसकलभट्टारकचक्रचक्रवर्तिश्रीजिनराज सूरिशिरःशृंगारसार मुकुटोपमानप्रधानैः ॥ ( ४४० ) ( 1 ) संवत् १६७७ वर्षे वैशाखमासे अक्षयतृतीया दिवसे श्री मेडता वास्तव्य उ० ज्ञा० समदडियागोत्रीय ( 2 ) सा० माना भा० महिमादे पुत्र सा० रामाकेन भ्रातृरायसंग भा० केसरदे पुत्र जइतसी लक्ष्मीदास प्रमुखकुटंब - ( 3 ) युतेन श्रीमुनिसुव्रतबिंबं का० प्र० तपागच्छे भट्टारकश्री पं० श्रीविजयसेनसूरिपट्टालंकार भ० श्रीविजयदे सूरिसिंहैः । Jain Education International ३४० For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.005113
Book TitlePrachin Jain Lekh Sangraha Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJinvijay
PublisherJinagna Prakashan Ahmedabad
Publication Year2010
Total Pages780
LanguageGujarati, Sanskrit
ClassificationBook_Gujarati
File Size12 MB
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