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________________ लेखाङ्कः-२३१-२३४ ( २३१ ) सं० १३०८ वर्षे फाल्गुण वदि ११ शुक्र श्रीनाणकगच्छे श्रीआघाटवास्तव्य श्रे० आंवप्रसाद लूण पाल्हण साल्हण आम्र प्रसादपुत्र सा० श्रीपति तत्सुत सा० पुत्राकेन आभा महणसिंह रावण मात उदयसिरि आल्ह भार्या जयतु हीरु वधु भोपल वाहडादि कुटुंबसहितेन पुत्र जगसिंह श्रेयोर्थे श्रीरिखमदेवसर्दीगाभरणस्य जीर्णोद्धारः कृतः ।। (२३२) संवत् १३०८ वर्षे फाल्गुण वदि ११ शुक्र श्रीवालीपुरवास्तव्य चंद्रगच्छीय खरतर सा दुलहसुत सधीरण तत्सुत सा० वीजा तत्पुत्र सा० सलखणेन पितामही राजमाता साउभार्या माल्हणदेवी सहितेन श्रीआदिनाथसत्क सर्वांगाभरणस्य साउश्रे योर्थ जीर्णोद्धारः कृतः ॥ (२३३) संवत् १३७८ संघ धनसिंह भार्या धांधलदेवी पुत्र वीजड समरसिंह विजपाल धवल............."श्रेयसे श्रीमहावीर का० प्र० श्रीधर्मघोपसूरिपट्टे श्रीज्ञानचंद्रसूरिभिः ।। (२३४) संघपति धनसिंह भार्या धांधलदेवी पुत्र वीजड समर ૨ ૧૫ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.005113
Book TitlePrachin Jain Lekh Sangraha Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJinvijay
PublisherJinagna Prakashan Ahmedabad
Publication Year2010
Total Pages780
LanguageGujarati, Sanskrit
ClassificationBook_Gujarati
File Size12 MB
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