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निगोद से मोक्ष - आत्मा के विकास का क्रम
योगीकेवली...सर्वागीकवलीसीय गुण० गुण
१३
उपशात क्षीणामाहलमोहगणव २१ गुण० ११ यहासे गीरे
१४
VAYATATAYAVATATAYATANI
१२
VIVAVAVAYAYAYAYAYA
प्रवेश चरमावर्त भव्यात्मा का
अक पुद्रलकृष्ण परावर्त-कालपाक्षिक
NAVAVAVAAVATAVAVAVAVAVA
सूक्ष्म
सागर स्थिति
कोडी ७० कोडा द्विबंधक
नव वेयक
गुण
संपराय
जिराफ
गडा
उरपरिसर्प अजगर
बादर अनिवृत्ति
बादर
बंधक
सकृत्
मनुष्य जोगीमा
वाणव्यतर देवलोक
२४
अपनबंधव
सावर्त = १ पुद्गल परावर्तका
अकेन्द्रिय
जलचर
पाण०२३क्षपक श्रेणी
४करण गुण
अपूर्व
बेल
नारका
मगरमच्छ मलेच्छा
मनुष्य
तिर्यच
ज्योतिष दिवलोक
व्यंतर
चेन्द्रिय
संमुर्छिम मनुष्य
नारकी
VAVAVAVATATATAVAVAYAW
पृथ्वाकाय
१७
शि मनख्य
पाडो
गर्भज
जंगली प्राणी
गु ण
Ahire
मनुष्य
राजा
अपकाय
विधि
उपशम श्रेणी
वनस्पति
चरिन्द्रिय मक्खी
पतगीया तिर्यंच पंचेन्द्रिय
भवजनिबर
नारकी
पति देव लोक
तिर्यग
प्रमत्त
TATATAVATATAVATATAR
DIDA
वनस्पातकाय
इन्द्रिय चीटी-मकोडा
जुभकदेव
बाबु
कृतहलिड मनुष्य परमाधामि
गाय
मनुष्य
विरत० गुण
पराक
तेड
बेन्द्रिय शंख-कोडा
TEL
सदाचारादि
BN Abhiair
यिकालेन्द्रिय कर्मभूमि मनुष्य अिंडगोलिक
परिव्राजक
अनंत पुद्गल.
वागत्यंतरे
दिवलोक
लमान
पृथ्वी प्रत्येक वनस्पति काय
देवलोक
निगोद
निगोद
धनध्य
गुण
जलचर मनष्य सर्प
शशि
HATATATATAYATATATATATATA
देशविरत समकिताष्ट सटूरु और
अविरत मनुष्यभवे पुनः
मनुष्य
उट
Pbre
प्रची
पंचेन्द्रिय
भवनपति
थे इंनिय
वैमानिक देवलोक
विद्याधर
न्याय
ROM
व्यतर
नीति
नारकीAPारत
विकलेद्रिय
माधारण
आदि
मनुष्य राजा
अकेन्द्रिय
३५ गुणो
बादलाकला आपकाय
देवलोक
फकि
अग्निकाय
Debi
प्रत्येक वनस्पति
नारकी
BETTE
बेईन्द्रिय
उंदर
दशविरति १२व्रत समाकत
विकलेन्द्रिय चतुष्पर
प्रत्येक वनस्पति
आश मेकेन्द्रिय
ध्यंतर
तिबंच पचेन्द्रिय
the
ज्योतिष देवलोक
मिश्र समकित
जलचर
कर्मभूमि
अकेन्द्रिय
मनुष्य तिथंच
गंजेन्द्रिय
विकरनेन्द्रिय
चतुरिन्द्रिय
अनेक
भव भ्रमण
अकेन्द्रिय बाणव्यतर देवलोक
परिस नोलिआ
देवलोक
मनुष्य
ज्योतिष
अकन्टिय
अवलोकन
Latahl
संन्यासी मनुष्य
वेयक
आर्य-कलीन
मनुष्य साधु
अध पुद्गल परावर्त काल
ज्योतिष देवलोक
मनुष्य
लो
देवलोकन महाविदह
अध्यात्म
जारका
(Il foreta
(
तिर्यच
मनुष्य
जीवन
पंचेजिय
MFNEERE
पानिकपनमानिकालTATANA
AVATATAYATTITUTITIVATAYATATAN
BYATAYATAYATAN
१३
अनिवृत्ति
समकित प्राप्ति
उपशम करणअयोपशमसमकित
देशोन अध
शुद्ध
अर्ध
शुक्ल
अंतःकरण
पद्रलपरावर्तकाल
पाक्षिक यथाप्रवृत्तिकरण
ARअपूर्वकरण