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________________ जंबूद्वीप से नंदीश्वर द्वीप - ५२ + १६ शाश्वत चैत्य जिन मंदिर स्वाद - भूत - समुद्र पर्यन्त श्वर समुद्र - इक्षुरस का स्व लाखयाजन-इक्षरस इरससमुद्र-८१० जैसा स्वाद १०५६ लाख योजन २०४८ लाख योजन २०२४ लाख योजन माखयोजन- दुधों लाख योजन पतवर समुद्र जैसा स्वाद और सफल र.१२८ लाख यो रखर समुद५१२ल ४ लाख योजन .३२लाख योजन पानाजसास्वा वारूणावर लाख योजन ८लाख यो लाख योज रजन चाल पुष्कर समद ७२ सूर्य बन-१२ कालादायसमा २लाखक 2ntop । ये सूर्य दो चट जंबू द्वीप RAA १लाख योजन २शात शतकी खंड पुष्करवर द्वीप ४ वारुणीवर हीच ५शीरवर द्वीप प्रतवर द्वीप इशुरस द्वीप नंदीश्वर द्वीप ८ बावन शाश्वत चैत्य ४ अंजनगिरि १६ दधिमुख ३२ रतिकर विदिशा के कुल १६ इंद्राणि के प्रासाद और शाश्वत चैत्य नंदीश्वर समुद्र बाद में असंख्य द्वीप समुद्र है। ४ शाश्वतजिन (१) ऋषभानन (२) चंद्रानन (३) वर्धमान (४) वारिषेण १६३८४ लारव योजन जंबूद्वीप से उत्तरोत्तर समुद्र और द्वीप द्विगुण द्विगुण मापसे जानना ।
SR No.004987
Book TitleJain Tattvagyan Chitravali Prakash
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBhuvanbhanusuri
PublisherDivya Darshan Trust
Publication Year
Total Pages64
LanguageGujarati
ClassificationBook_Gujarati
File Size16 MB
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