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________________ अढी द्वीपके शाश्वत पदार्थ सूर्य १३२ / चंद्र १३२ / विजय कोटी शीला १७० / अयोध्या १७० / द्रह ८० / तीर्थ ५१० / श्रेणिये ६८० / गुफाएं ३४० / बील १२२४० वक्षस्कार पर्वत ८० / अंतर नदीयां - ६० महा नदीयां ४५० रु क् नी. ल व तु १७० / रूप्यकूला नदी हिरण्यवं क्षेत्र महापुरीकह नारीकान्ता नदी क् मी माल्यवंत रम्यक क्षेत्र अही द्वीपके शाश्वत प मेरु पर्वत ५ वर्षधर पर्वत ३०/ गजदंत पर्वत २० ईषुकार पर्वत ४ (मेरू) Jain Education International विदि हरिकान्ता नदी हरिवर्ष क्षेत्र, महा हिमवंत पर्वत २०/ दीर्घ देता. पर्वत १७० / चमक पर्वत ५/ समक पर्वत ५ चित्र पर्वत ५ विचित्र पर्वत ५ / कंचनगिरि १०००/ सर्व पर्वत - १३४७ / सर्वकूट २३३४/ प गंधापाती कूट १७० / कर्मभूमि - ३० / अंतरद्वीप ५६/ सर्वद्वीप १२१ देश- ५४,४०,००० खंड-१०१० अढीद्वीप-मनुष्यलोक महापद्म ब्रह विकटापाती शिख री सुवर्णकूला नदी नरकान्ता नदी त हरिसलिला नदी पर्वत Septe शब्दापाती रोहितांशा नदी हिमवंत क्षेत्र लघु हिमवंत खंड ४ रोहिता नदी हिरण्यर्व क्षेत्र खंड-३ कालोदधिसमुद्र हरिवर्ष क्षेत्र रक्ता नदी रम्यर्क क्षेत्र Peb राम-प्रभास औरावत तमिखा खंड ४ खड-३ खड-६ स्वतवती नदी 10: खंड-५ Pie lele Pinks a NHP खड-२ भरत दक्षिण खंड-१ le hiy मिथ्याकूट 4 प्रभास-वरदाम-गामध खड रक्तवती नदी खंडप्राता वैता • ऋषभकूट के खंड ४ खंड-१ रक्ता नदी खंड शिख रूप्यकूला नदी खंड-३ पूर्व लघु हिमवंत सिंधु नदी खंड- १ दक्षिण भरत क्षेत्र वैता खंडप्रपाला खंड-६ ऋषभकूट गंगा नदी खड खड ४ For Private & Persorial Use Only रोहितांशा नदी खंड-५६ रुक्मी नारीकान्ता नदी पर्वत / dat नोध: ५- भरत, ५-महा विदेह, ५- अरावत ऐसे १५ कर्मभूमि, ३० अकर्मभूमि, ५६ अंतद्वीप से युक्त धातकी खंड में जंबुद्वीप की तथा पुष्काराद्वीप मे द्विगुण रचनासे युक्त अढी द्वीप विकटापाती P शब्दाप हिमवंत क्षेत्र रोहिता नदी महापद्म ब्रह अती द्वीप शाखत पदार्थ जंबूवृक्ष विगेरे १० जंबूवृक्ष के छह वलोकें मिलकर वृक्षो ३१,०३,०३, १२० कमलो १,८८,६०,१४,८०० ८५० महा नदीओका परिवार ७२,८०,००० पाताल कलश ७८८८ सिद्धायतम ४८३ प्रतिमाएं - ५७,१६० सुवर्णकूला नदी हरिकान्ता नदी महा हिमवंत हिरण्यवंत क्षेत्र महापुण्डरीके दर पर्व त माल्यवंत नरकान्ता नदी रम्यक क्षेत्र केशरी वह (मेरू by तिमी दह 110 je गंधापाती हरिवर्ष क्षेत्र पर्वत हरिसलिला नदी १) जंबूद्वीप : १ लाख योजन प्रमाण २) लवणसमुद्र : ४ लाख योजन प्रमाण (दो बाजु के २२ लाख योजन मिलाकर) ३) धातकीखंड ८ लाख योजन प्रमाण (दो बाजु के ४४ लाख योजनमिलाकर) ४) समुद्र १६ लाख योजन प्रमाण (दोबा के८८ लाख योजन मिलाकर) ५) अरव १६ लाख भोजन प्रमाण बाजू के ८८ लाख योजन मिलाकर) ४५ लाख योजन प्रमाण का अदी द्वीप मनुष्य लोक ines www.jathelibrary.org/
SR No.004987
Book TitleJain Tattvagyan Chitravali Prakash
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBhuvanbhanusuri
PublisherDivya Darshan Trust
Publication Year
Total Pages64
LanguageGujarati
ClassificationBook_Gujarati
File Size16 MB
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