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२ लाख योजन विस्तारवाला लवण समुद्र जिसमें
चार दिशा में एक-एक महापाताल कलश है
और प्रत्येक दिशामें लघुकलशो ९ पंक्ति में १९११ रहे हैं क्रमशः प्रथम पंक्ति में २२३
दूसरि में २२२..... नवमी में २१५ ।
यह कलशो में २ भाग वायु का और १ भाग पानी का है
और जब उसका पानी वायु के दबाव से बहार आता है तब बाढ़ आती है और शांत होने पे
ओट आती है।
सूर्य दीपों
चंद्र दीपो
14
अनुवेलंधर
Cocon
अंतर
द्वीप
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शिखरी
B
13
मीतीदा ५३२०३८ नदीयों का परिवार AB
13
E
H B
जंबूद्वीप और लवणसमुद्र
लवण
समुद्र
००००
खंड-१
- १०५२ योजन १२ कला
स्कूमी ४२१० योजन -१० कला ८६००० नदीयों का परिवार
निलवंत - १६८४२ योजन-२ कला
E B E
निषेध- १६८४२ योजन २ कला हरिकान्ता - ५६००० नदीयों का परिवार महाहिमवंत -४२१० योजन- १० कवा
C B
गंधमादन
अयोध्या
खंड-१ खड-6
- २८०००
लघु हिमवंत ११५२ योजन- १२ कला
विद्युत्प्रभ
$ श्व
खंड-२
उत्तर
15
उस अपराजित द्वार
मागध-वरदाम-प्रभात
उत्तरकुरु
खडप्रपाता
SWLINE
विकटापाती
जमक
माल्यवंत
शा
ल्म
ली
वृक्ष चित्र
पुंडरीक ब्रह
खंड ४
महापुंडरीक ब्रह
ऐरवतक्षेत्र
कला
केशरी द्रह
मेरू
•ge.
तिमिच्छी ब्रह
महापद्म ग्रह
तमिया
तमिस्रा TUTE V
पद्म ग्रह
समक
देवकुरुक्षेत्र विचित्र
गंधापाती
शब्दापाती
अपभकूट खजसपाला
भरत -५२६ यो. ६ कला दक्षिण
ध
खडू-१
पातालकलश ( यु प
प्रभास बरदाम-मागध अयोध्या
खंड-१
उत्तर
सोमनसगजदंतु
हिरण्यवंत २१०५ योजन ५ कला
खंड-३
रम्यक क्षेत्र ८४२१ योजन-१ कला
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भरत
हरिवर्ष क्षेत्र ८४२१ योजन -१ कला
खंड-6
००००
हिमवंतक्षेत्र २१०५ योजन -५ कला
२००० नदी का प
खंड-१
नीध ७ क्षेत्र वर्षधर पर्वत, ४ गजवंत पर्वत, १६. वहाँ १४ महानदी, मेरु पर्वत १६ कार पत ३२ वीला साक्य, गृह, शाश्वत
से युक्त लाख योजन प्रमाण संवृद्रीप
DD
D D
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सीता - ५३२०३० नदीयों का परिवार श्री B B
日
日
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अंतर द्वीप
अनुवेलंधर
000000
रोहिता २८००० नदीयों का परिवार
10000
रवार
६००० नदीयों का परिवार
OCTO
अनुवेलंधर
(C
चंद्र दीपो
वडवामुख
१) ३०० योजन
२) ४०० योजन
३) ५०० योजन ४) ६०० योजन
५) ७०० योजन ६) ८०० योजन
७) १०० योजन
सूर्य दीपो
एक दाढामें ७ द्विप
दो दीपो के बिचका अंतर
१) ३०० योजन
२) ४०० योजन ३) ५०० योजन (४) ६०० योजन ५) ७०० योजन ६) ८०० योजन ७) १०० योजन
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