SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 95
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ सर्वकार्यसिद्धिदायक श्री शान्तिधारा पाठः ॥ ह्रीं श्रीं क्लीं ऐं अर्हं वं मं हं सं तं वं वं मंमं गृहं संसं तंतं पंपं डंडं वीं वीं क्ष्वीं क्ष्वाँ द्राँ द्राँ द्रीं ह्रीं द्रावय द्रावय नमोऽर्हते भगवते श्रीमते ह्रीँ क्रौं मम पापं खण्डय खंडय हन हन दह दह पच पच पाचय पाचय सिद्धिं कुरु कुरु ॥ नमोऽर्ह डँम्वीँ क्ष्वीं हं सं डं वं व्हः पः हः क्षां क्षीं क्षू क्ष क्ष क्ष क्षः ॥ १ ॥ हँ हाँ हिँ ह्रीँ हुँ हूँ हैं हैं ह्रीं ह्रीँ हँ ह्रः असिआउसाय नमः मम पूजकस्य ऋद्धि वृद्धिं कुरु कुरु स्वाहा ॥ नमोऽर्हते भगवते श्रीमते डः डः डः मम श्रीरस्तु वृद्धिरस्तु तुष्टिरस्तु पुष्टिरस्तु शान्तिरस्तु कान्तिरस्तु कल्याणमस्तु मम कार्यसिद्ध्यर्थं सर्वविघ्ननिवारणार्थं श्रीमद भगवते सर्वोत्कृष्टत्रैलोक्यनाथार्चितपादपद्म- अर्हत्-परमेष्ठि-जिनेन्द्र-देवाधिदेवाय नमो नमः । मम श्री शान्तिदेवपादपद्मप्रसादात् सद्धर्म - श्रीबलायुरारोग्यैश्वर्याभिर्वृद्धिरस्तु स्वस्तिरस्तु धनधान्यसमृद्धिरस्तु श्रीशांतिनाथ मां प्रति प्रसीदतु, श्री वीतरागदेवो मां प्रति प्रसीदतु, श्रीजिनेन्द्रः परममांगल्य- नामधेयो ममेहामुत्र च सिद्धिं तनोतु ॥ ॥ नमोऽर्हते भगवते श्रीमते श्रीचिन्तामणिपार्श्वनाथाय, तीर्थंकराय रत्नत्रयरूपाय अनंतचतुष्टयसहिताय धरणेन्द्रफणमौलिमण्डिताय समवसरणलक्ष्मीशोभिताय, इन्द्रधरणेन्द्रचक्रवर्त्यादिपूजि ८६ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.004960
Book TitleMaro Swadhyaya
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDivyaratnavijay
PublisherShraman Seva Parivar
Publication Year
Total Pages244
LanguageGujarati
ClassificationBook_Gujarati
File Size13 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy