SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 87
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ पिनि, सर्व रोगापनोदिनी, ब्रह्माविष्णु-रुद्र-इंद्र चंद्र-आदित्यादि ग्रहनक्षत्र तारा लोकोत्पाद भय पीडा प्रमर्दिनी, त्रैलोक्य, महिते, भव्य लोकहितंकरी, विश्वलोक वंशकरि, महाभैरवी, भैवरूपधारिणी, भीमे भीमरूप धारिणी, रौद्रे महारौद्र रूप धारिणी, सिद्धे सिद्धरूपधारिणी, प्रसिद्ध सिद्ध विद्याधर, यक्ष, राक्षस, गरुड़, गंधर्व, किन्नर, किंपुरुष दैत्योरगेंद्र अमर पूजिते ज्वालामाला कराले तत्त दिगन्तराले, महामहिषवाहिनि, त्रिशूल चक्र, झष, पाश शर, शरासन, फलवरद प्रदान विराजमान, षोडषार्द्ध भुजे खेटक कृपाणहस्ते, त्रैलोक्याकृत्रिमचैत्यालय निवासिनि, सर्व सत्वानुकम्पिनि, रत्नत्रय महानिधि, सौख्य, सौगत, चार्वाक, मीमांसक दिगंबरादि पूजिते विजयवर प्रदायिनि, भव्यजन संरक्षिणि, दुष्टजन प्रमर्दिनि, कमल श्री गृहित गर्वावलिप्त ब्रह्म राक्षस ग्रह अपहारिणि, शिवकोटी महाराज प्रतिष्ठित भीम लिंगोत्पाटन पटु प्रतापिनि, समस्तग्राहकर्षिणि, ग्रहानुच्छोदिनि, ग्रह कलामुखि नगर निवासिनि, पर्वतवासिनि, स्वयंभूरमणवासिनि, वज्र वेदिकाधिष्ठित व्यंतरावासवासिनि, मणिमय सूक्ष्म घंटनाद किंचिद्रणित नूपुरयुक्त पादारविंदे, वज्र, वैडूर्य, मुक्ताफल हरिन्मणि मयूख मालमण्डिल हेम किंकिणी झणत्कार विराजित कणकऋजुसूत्र भूषित नितम्बिनि, वारद नीरद निर्मलायमान सूक्ष्म दुकुल परीत दिव्य तनुमध्ये संध्यापरागारूण मेघ समान कौसुम्भ वस्त्र धारिणि वालार्करुक सन्निभायमान तपनीय वस्त्राच्छादिते, इन्द्रचंद्रकादि मौक्तिकहार विराजित स्तन मण्डले, तारा समूह परितोत्तमांगे, यमराज .७८. Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.004960
Book TitleMaro Swadhyaya
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDivyaratnavijay
PublisherShraman Seva Parivar
Publication Year
Total Pages244
LanguageGujarati
ClassificationBook_Gujarati
File Size13 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy