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श्री ज्वालामालिनी देवी माला मन्त्रः
ॐ नमो भगवते चन्द्रप्रभ जिनेंद्राय शशाङ्क शंख, गोक्षीर, हार निहार, विमल, धवल गात्राय घाति कर्म निर्मूलनोच्छेदन कराय जाति जरा मरण शोक विनाशन कराय, संसार कांतारोन्मूलन कराय अचिंत्य बल पराक्रमाय, अप्रतिहत शासनाय, अप्रतिहत चक्राय, त्रैलोक्य वशं कराय, सर्व सत्व हितंकराय, भव्य लोक वशं कराय, सुरासुरोरगेंद्र मणि गण खचित मुकुट कोटी घटित पाद पीठाय, त्रैलोक्य महिताय, अष्टादश दोष रहिताय, धर्म चक्राधीश्वराय, सर्व विद्या परमेश्वराय कुविद्या अघ्नाय, चतुः स्त्रिंशदतिशय सहिताय, द्वादश गण परिवेष्टिताय शुक्लध्यान पवित्राय, अनंत ज्ञानाय, अनन्त दर्शनाय, अनन्त वीर्याय, अनन्त सुखाय, सर्वज्ञाय सिद्धाय, बुद्धाय, शिवाय, सत्यज्ञानाय, सत्य ब्रह्मणे, स्वयंभुवे, परमात्मने अच्युताय, दिव्यमूर्तये, प्रभामंडलमंडिताय, कण्ठ ताल्वोष्ठ पुटव्यापार रहित तत्तदभिष्टं वस्तु कथकं निःशेष भाषा प्रतिपालकाय, देवेन्द्र धरणेन्द्र, चक्रवर्त्यादि शतेन्द्र वंदित पादारविंदाय, पंचकल्याण अष्टमहाप्रातिहार्यादि विभवालंकृताय, वज्रर्षभनाराचसंहनन चरम दिव्य देहाय, देवाधिदेवाय, परमेश्वराय, तत्पाद पंकजाश्रयाय, निवेशिनि देवी शासन देवते त्रिभुवन जन संक्षोभिणी, त्रैलोक्यसंहार कारिणी, स्थावर-जंगम - कृत्रिम विषय विषसंहार कारिणि, सर्वाभिचार कर्मापहारिणि, पर विद्या छेदिनी, पर मंत्रणाशिनी, अष्टमहानाग कुल उच्चाटिनी, काल दंष्ट्रमृद्कोत्था
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