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• દ્વાત્રિંશિકાની નયલતા ટીકામાં છે.જૈનાચાર્યરચિત આગમેતર ગ્રંથોની સૂચિ • 'श्वेताम्बरीयशास्त्राणि जैनागमोत्तराणि हि । नयलतोद्धृतान्यत्र दर्श्यन्ते क्रमतोऽधुना ।।
६६. कल्याणकन्दली षोडशकवृत्ति)
| ९५. ज्ञानपञ्चकविवरणप्रकरण (हरिभद्रसूरिकृत) ६७. कल्याणमन्दिरस्तोत्र ९६. ज्ञानबिन्दु ६८. कल्याणमन्दिरस्तोत्रवृत्ति ९७. ज्ञानसार
६९. कस्तूरीप्रकरण
९८. ज्ञानसारवृत्ति ( ज्ञानमञ्जरी) ९९. तत्त्वज्ञानविकाशिनी
७०. काव्यानुशासनवृत्ति
७१. काव्यानुशासनसूत्र
७२. कुमारपालप्रबन्ध
७३. कुवलयमाला
१. अज्ञातोञ्छकुलक
२. अज्ञातोञ्छकुलकवृत्ति
३. अतिरिक्तशक्तिवाद
४. अदृष्टसिद्धिवाद ५. अधिकारविंशिकावृत्ति
६. अध्यर्धशतक
७. अध्यात्मकल्पद्रुम
८. अध्यात्मतत्त्वालोक
९. अध्यात्म बिन्दु
१०. अध्यात्मबिन्दुवृत्ति
१४. अध्यात्मसार
१५. अध्यात्मोपनिषट्टीका १६. अनेकान्तजयपताका
३५. आराधनासार
३६. आर्यासप्तशती
३७. इन्द्रियपराजयशतक
३८. उपदेशतरङ्गिणी ३९. उपदेशपद
४०. उपदेशपदवृत्ति
(सुखसम्बोधिनी)
११. अध्यात्ममतपरीक्षा
१२. अध्यात्ममतपरीक्षावृत्ति ४५. उपदेशमालाटीका
१३. अध्यात्मवैशारदी
(रामदासगणी)
२९. आचारसार
३०. आत्मख्याति
३१. आत्मविशुद्धिकुलक
३२. आत्मावबोधकुलक
३३. आभाणशतक
३४. आराधनाप्रकरण
४१. उपदेशप्रकरण
४२. उपदेशप्रासाद
४३. उपदेशमाला
४४. उपदेशमाला हेयोपादेयावृत्ति ७४ कुवलयमाला
४६. उपदेशमालावृत्ति (दोघट्टी) ४७. उपदेशरहस्य ४८. उपदेशरहस्यवृत्ति ४९. उपदेशसार
(उद्योतनसूरिकृत)
१७. अनेकान्तव्यवस्था १८. अनेकार्थसङ्ग्रह
५०. उपदेशसाहस्री
७९. गुणानुरागकुलक ८०. गुरुतत्त्वविनिश्चय
१९. अन्ययोगव्यवच्छेदद्वात्रिंशिका ५१. उपमितिभवप्रपञ्चा कथा ८१. गुरुतत्त्वविनिश्चयवृत्ति २०. अभिधानचिन्तामणि ५२. ऋषिमण्डलस्तोत्र २१. अयोगव्यवच्छेदद्वात्रिंशिका | ५३. एकावली
८२. गुरुवन्दनभाष्य ८३. गुर्वावली
२२. अर्हन्नामसहस्रसमुच्चय ५४. ऐन्द्रस्तुतिचतुर्विंशतिकावृत्ति ८४. गूढार्थदीपिका
२३. अलङ्कारचूडामणि २४. अष्टकप्रकरण
५५. कथाकोश
५६. कथारत्नकोश
२५. अष्टकप्रकरणवृत्ति २६. अष्टसहस्री
५७. कथासरित्सागर ५८. कर्मग्रन्थ
२७. अष्टसहस्रीतात्पर्यविवरण ५९. कर्मप्रकृति २८. आख्यानकमणिकोश
६०. कर्मप्रकृतिचूर्णि
६१. कर्मप्रकृतिवृत्ति (मलयगिरीय ) ९०. जयलता ६२. कर्मप्रकृतिवृत्ति
द्वात्रिंशिका
(देवगुप्तसूरिकृत) ( रत्नप्रभसूरिकृत) | १०४. तत्त्वार्थसूत्रवृत्ति ७५. कूपदृष्टान्तविशदीकरण ( यशो वृत्ति) ७६. क्षुल्लकभवावलिप्रकरण | १०५. तत्त्वार्थसूत्रवृत्ति ७७. गुणस्थानकक्रमारोह (सिद्धसेनीय) ७८. गुणस्थानकक्रमारोहवृत्ति १०६. तपःकुलक
१०७. तिलकमञ्जरी
१०८. त्रिषष्टिशलाकापुरुषचरित्र १०९ त्रैलोक्यदीपिका ११०. दर्शनरत्नरत्नाकर | १११. दर्शनशुद्धिप्रकरण
(तत्त्वार्थयशो. वृत्ति) ८५. चउपन्नमहापुरुसचरियं ८६. चतुर्विंशतिस्तव
८७. चरमावर्तविंशिका
८८. चैत्यवन्दनमहाभाष्य ८९. छान्दोग्यशाङ्करभाष्य
(स्याद्वादरहस्यवृत्ति) ( यशोविजयगणिकृत) ९१. जिनशतक ६३. कर्मस्तव नव्यकर्मग्रन्थ ९२. जीवानुशासन ६४. कर्मस्तव प्राचीनकर्मग्रन्थ ९३. जीवानुशासनवृत्ति ६५. कर्मस्तववृत्ति ९४. जैनतर्क
१००. तत्त्वसार
१०१ तत्त्वार्थसूत्र
१०२. तत्त्वार्थसूत्रभाष्य १०३. तत्त्वार्थसूत्रवृत्ति
११२. द्रव्यालङ्कार ११३. द्वात्रिंशिकाप्रकरण
(सिद्धसेनीय)
११४. द्वादशारनयचक्र
११५. द्वादशारनयचक्रवृत्ति ११६. द्वितीयकर्मग्रन्थ ११७. द्वितीयकर्मग्रन्थवृत्ति
११८. धर्मपरीक्षा ११९. धर्मपरीक्षावृत्ति १२०. धर्मबिन्दु
१२१. धर्मबिन्दुटीका
१२२. धर्मरत्नकरण्डक
| १२३. धर्मरत्नप्रकरण
૧. ‘દ્વાત્રિંશિકા પ્રકરણ’ની નયલતામાં સાક્ષીરૂપે ઉદ્ધૃત કરેલા શ્વેતાંબર જૈનાચાર્યરચિત આગમેતર ગ્રંથો પ્રસ્તુત નોંધમાં દર્શાવેલ છે. તેના પૃષ્ઠ નંબરની માહિતી માટે ભાગ-૮, પરિશિષ્ટ-૬માં જુઓ પૃ.૨૨૧૯ થી ૨૨૪૮.
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