SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 137
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ 134 • દ્વાર્નાિશિકાપ્રકરણ તથા “નયલતા વ્યાખ્યામાં વર્ણવેલા પદાર્થોની યાદી - (२) लोकवासना ५३७, १२८९, १८८८ विचिकित्सा ३९३, ८६२, ९७७-९८०, (३) शास्त्रवासना ५३७, १२८९, १८८८ १२६९, १६१७, २१११ (४) कर्मवासना १०१३ वितर्क ५१२, ९२३, १३०३, १३०९, वासनाफल १०९३ १३२६-१३२८, १३३५, १३३८-१३४०, वासीचन्दनकल्प २८६, २९०, १४४४, १९३१- १३४३, १३४५, १३४७-१३४८, १३५११९३२ १३५३, १३६४, १३९९, १४२४-१४३१, विकथा जुओ कथा १४६४, १५१४, १५२५, १८१८, १८६१, विकथा (७ प्रकार) जुओ कथा-विकथा २०५६, २१८३ विकथा (१६ प्रकार) जुओ कथा-विकथा वित्तशुद्धि जुओ शुद्धि विकथा (२५ प्रकार) जुओ कथा-विकथा विदेहमुक्तता १६८९ विकलप्रयोग १३८३ विदेहलय जुओ योगी विकल्प (पातञ्जल) जुओ वृत्ति विद्या १५३१ विकल्प (शब्दादि) विद्या-चतुर्दश ११४१ (१) शब्दविकल्प १५६१ विद्यावृद्ध जुओ वृद्ध (२) अर्थविकल्प १५६१ विद्याजन्म १२५६, १२९२, १४०८, १६८० (३) प्राप्ताप्राप्तविकल्प १५६२ विद्यादान जुओ दान (विद्यादि) विकल्पसमापत्ति जुओ समापत्ति सवितर्कसमापत्ति | विनय (४९२-४९३, ५१६-५१८, ७०१विकार ७६२ ७०२, ८३६-८३८, ८५६-८५७, १२६९विक्षिप्तचित्त जुओ चित्त १२७०, १४९९-१५००, १५२७,१८८३७५४, ८२७, ८२९-८३०, १८८४), १९६१-२००६ १११४, १११७, १६७३-१६७७, १६८५ | (१) ज्ञानविनय १९७२-१९७५ विक्षेपणी कथा परसमय-स्वसमय जुओ कथा-धर्मकथा | (२) दर्शनविनय १९७२-१९७५ विक्षेपणीफल (३) चारित्रविनय १९६३, १९७२-१९७५ विक्षेपणविनय जुओ विनय (चतुष्क) (४) तपविनय १९६२ विच्छिन्नक्लेश जुओ क्लेश (पातञ्जल) (५) प्रतिरूपविनय विज्ञानवाद जुओ वाद (i) उपचारविनय १९६३-६८, १९७३ विज्ञानानन्त्यसंज्ञा जुओ संज्ञा (बौद्ध) (a) मानसिकविनय १९६७-१९६८ विज्ञानानन्त्यायतन समाधि जुओ समाधि (बौद्ध) (b) वाचिकविनय १९६५-१९६७ विघ्न जुओ अन्तराय (c) कायिकविनय (अष्टविध) १९६४-६५ विघ्नजय जुओ आशय (प्रणिधानादि) (ii) अनाशातनाविनय १९६२, १९७२ विनशमनी जुओ पूजा विनय (चतुष्क) विघ्नोपशमनी पूजा जुओ पूजा (१) आचारविनय १९७५, १९९९ विधिसूत्र जूओ सूत्र (२) श्रुतविनय १९७५, १९९९ विचारणा जुओ कर्मयोग (वैदिक) । (३) विक्षेपणविनय १९७५, १९९९ For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org विक्षेप ६६० Jain Education International
SR No.004938
Book TitleDwatrinshada Dwatrinshika Prakran Part 1
Original Sutra AuthorYashovijay Upadhyay
AuthorYashovijay of Jayaghoshsuri
PublisherAndheri Jain Sangh
Publication Year2002
Total Pages478
LanguageGujarati, Sanskrit
ClassificationBook_Gujarati
File Size11 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy