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________________ शिवदूती श्वेतवर्णी शुभ्राभा शुकनाशिकी। सिंहिका सकला शोभा स्वामिनी शिवपोषिणी ॥७॥ वैमानिक देवो की स्त्रियो के केशो में पहने हए वण के आभूषणो की शोभाधारा की आरती से अत्यन्त शोभायमान चरणोवाली, मनोहर और श्रेष्ठ विद्याओ के समूह को प्रकाशित करनेवाली, अतिभव्य आकृतिवाली,शीघ्र कृपा करनेवाली माता मेरी रक्षा करे। श्रेयस्करी श्रेयसी च शौरिः सौदामिनी शुचिः। सौभागिनी शोषणी च सुगन्धा सुमन:प्रिया ।।८।। सौरमेयी सुसुरभी श्वेतातपत्रधारिणी। शृङ्गारिणी सत्यवक्ता सिद्धार्थी शीलभूषणा ॥९॥ अपने निर्मल शरीर की रश्मियों के पुंज की अतिशय श्वेतता से क्षीर समुद्रो के समूह को मानो दूर से ही फैलानेवाली (बिखेरनेवाली) चक्रवाक पक्षी से सम्मान पायी हुई पूर्णचन्द्र के समान मुखवाली माता मुझे इस लोक में दोष-रहित विद्या का समूह प्रदान करे। ४ मन्दहास्य (मुसकान) से चन्द्रिका का पराभव करनेवाली आश्रित जनो की रक्षा में जागृत, अपनी वेणी से सर्प (नाग) को पराजित करनेवाली, हाथ में सुन्दर वीणा धारण करनेवाली, नयनो से नील कमल को मात करनेवाली, भक्तो के पापो को दूर करनेवाली, ब्रह्मा की स्त्री शारदा मेरे कमल में आनन्द पूर्वक वास करे। सत्यार्थिनी च सन्ध्यामा शची संक्रान्ति सिद्धिदा। संहारकारिणी सिंही सप्तार्चिः सफलार्थदा ॥१०॥ सत्या सिंदुरवर्णाभा सिन्दुरतिलकप्रिया। सारङ्गा सुतरां तुभ्यं ते नमोऽस्तु सुयोगिना ॥१२॥ इति सरस्वतीशतनामस्तव: समाप्तः । । सम्पूर्णम्। SU ભાષાતર ६७ श्रीसरस्वतीशतनामस्तवः। अनुष्टुप. सरस्वती शरण्या च सहस्राक्षी सरोजगा। शिवा सती सुधारुपा शिवमाया सुता शुभा ॥१॥ सुमेधा सुमुखी शान्ता सावित्री सामगायिनी। सुरोत्तमा सुवर्णा च श्रीरुपा शास्त्रशालिनी ॥२॥ शान्ता सुलोचना साध्वी सिद्धा साध्या सुधात्मिका। शारदा सरला सारा सुवेषा जयवर्द्धिनी ||३|| १. सरस्वती-विद्याप्रवाहवाणी, २.शरप्या-शरा३५। 3. सहसाक्षी-हरमांजवाणी, ४. सरोगा-पभनिवासिनी ५. शिवा-मंगल३५1 5. सती-सहायरी ७. सुधा३पाઅમૃતસ્વરૂપા ૮.શિવમાચા-પરમેશ્વરની માયારૂપા ૯. સુતા-પુત્રી બ્રહ્મપુત્રી રૂપ, ૧૦. શુભા- કલ્યાણકારિણી. ( ૧૧. સમેઘા ઉત્તમબુદ્ધિરૂપા ૧૨. સુમુખી-મનોહર મુખવાલી ૧૩. શાન્તા-શાન્તિરૂપા ૧૪. સાવિત્રી-સૂર્યની શકિત, ગાયત્રી ૧૫. સામાચિની-સામવેદનીગાયિકા, સંગીત વિશારદા ૧૬. સુરોત્તમા દેવોમાં ઉત્તમા, ૧૭. સુવર્ણા ઉત્તમવર્ણોવાળી ૧૮. શ્રીરૂપ-સૌંદર્યરૂપા, ૧૯. શાસ્ત્રશાલિની-શાસ્ત્રોથી શોભાવાળી, २. २०. शान्ता-संन्यस्त३५, २१. सुलोचनासुंघरष्टिपाती, २२. साध्वी-6त्तमा-सय्यरित्रा, २3. सिद्धाસિદ્ધ સ્વરુપા ૨૪. સાવી-સાધ્યરૂપા ૨૫. સુધાત્મિકાअमृत३पा, २७. शारदा-निर्भल३५/२७. सरता-सरस्वभावी, કુટિલતા રહિત ૨૮. સારા-સારરૂપા ૨૯. સુવેષા સુંદર વેપવાલી 30. ४यवाईनी-४य पधारनारी 3. 3१. शंरी-शान्ति मापनारी, 3२. शमिता-धेर्यन ધારણ કરનારી ૩૩. શુદ્ધા-નિર્દોષા ૩૪. શક્રમાન્યા ઇન્દ્રથી સન્માન્યા ૩૫, શુભંકરી-શુભકરનારી ૩૬. શુદ્ધાહારરતા - શુદ્ધ આહારવાલી ૩૭. શ્યામાં સુંદર સ્ત્રીરૂપા ૩૮. સીમાં शङ्करी शमिता शुद्धा शक्रमान्या सुभकरी शुद्धाहाररता श्यामा सीमा शीलवती शरा ॥४॥ शीतला शुभगा सर्वा सुकेशी शैलवासिनी। शालिनी साक्षिणी सीता सुभिक्षा शिवप्रेयसी ॥५॥ सुवर्णा शोणवर्णा च सुव्वरी सुरसुन्दरी। शक्तिस्तुषा सारिका च सेव्या श्री: सुजनार्चिता ॥६॥ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.004932
Book TitleSachitra Saraswati Prasad
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKulchandravijay
PublisherSuparshwanath Upashraya Jain Sangh Walkeshwar Road Mumbai
Publication Year1999
Total Pages300
LanguageGujarati
ClassificationBook_Gujarati
File Size17 MB
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