SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 197
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ - गुरु बोले हे शिष्य ! सब इच्छाओ को देनेवाला, कवच (रक्षा स्तोत्र ) मैं कहूँगा सो सुनो ! सब लोग इसे धारण कर यह शुभ स्तव बार बार पढें । ५२ अनुवाद इस श्री सरस्वती स्तोत्र कवच के प्रजापति ऋषि है, अनुष्टुप छन्द है, शारदा देवता है, सर्वतत्त्व के परिज्ञान में, सर्व अर्थ के साधनों में, कविताओं में, तथा सब वस्तुओं में विनियोग कहा गया है। इस तरह पाठ करके विनियोग करना । ॐ श्रीं ह्रीँ सरस्वत्यै स्वाहा - (यह पद) सभी ओर से मेरे मस्तक की रक्षा करे । ॐ श्रीँ वाग्देवतायै स्वाहा की रक्षा करे । ॐ सरस्वत्यै स्वाहा (यह पद ) इस तरह निरन्तर मेरे दोनो कानों की रक्षा करे । - - (यह पद) सर्वदा मेरे कपाल ॐ ह्रीं श्रीं भगवत्यै सरस्वत्यै स्वाहा (यह पद) हमेशा दोनो नेत्रोंकी रक्षा करे । ॐ ऐं ह्रीं वाग्वादिन्यै स्वाहा (यह पद ) सदा मेरी नासिका की रक्षा करे I ॐ ह्रीं विद्याऽधिष्ठातृदेव्यै स्वाहा- (यह पद ) सदा दोनो होठों की रक्षा करे । ॐ श्रीं ह्रीं ब्राह्मये स्वाहा (इस तरह पद ) सदा दांतो की पंक्ति की रक्षा करे । ॐ ऐं (इत्येका क्षरो) ऐसा एक अक्षर का मंत्र सदा मेरे कंठ की रक्षा करे । - Jain Education International ॐ श्रीं ह्रीं" (पद) मेरी गर्दन की और श्रीः सदा मेरे दोनो कंधोकी रक्षा करे । ॐ ह्रीं विद्याऽधिष्ठातृदेव्यै स्वाहा पद सदा मेरे वक्षःस्थल (छाती) की रक्षा करे। ॐ ह्रीँ विद्याऽधिस्वरूपायै स्वाहा- पद मेरी नाभि की रक्षा करे । ॐ ह्रीं क्लीं वाण्यै स्वाहा यह पद सदा मेरे दोनो हाथोकी रक्षा करे । ॐ सर्व वर्णात्मिकायै स्वाहा- पद सदा दौनो पैरो की रक्षा करे । ॐ वागधिष्ठातृदेव्यै स्वाहा पद सदा सर्व अंगो की रक्षा करे। करे। इस के बाद दिशाओ का बन्ध करना ॐ सर्व कण्ठवासिन्यै स्वाहा ॐ सर्व जिल्हावासिन्यै स्वाह पद अग्नि दिशा में रक्षा करे। ॐ ऐं ह्रीं श्रीं क्लीं सरस्वत्यै बुध जनन्यै स्वाहा। ॐ - यह मन्त्रराज निरन्तर दक्षिण में सदा मेरी रक्षा करे । ॐ ऐं ह्रीं श्रीं (व्यक्षरी मंत्रो) यह तीन अक्षर का मंत्र नेत्य दिशा में सदा मेरी रक्षा करे। ॐ ऐं ह्रीं जिह्नाप्रवासिन्यै स्वाहा पश्चिम दिशामें सदा मेरी रक्षा करे । पद सदा पूर्व दिशामें रक्षा ॐ सर्वाऽम्बिकायै स्वाहा- पद वायव्य दिशामें सदा मेरी रक्षा करे । ॐ ऐं ह्रीं क्लीं गद्य-पद्य वासिन्यै स्वाहा सदा मेरी रक्षा करे । - करे । ॐ ऐं सर्वशास्त्र वादिन्यै स्वाहा पद ईशान दिशामें सदा मेरी रक्षा करे । ॐ ह्रीं सर्व पूजितायै स्वाहा- पद ऊर्ध्व दिशा में सदा मेरी रक्षा करे । पद उत्तर दिशा में ॐ ह्रीँ पुस्तक वासिन्यै पद अधो (नीचे की ) दिशामें सदा मेरी रक्षा करे । ॐ ग्रन्थ बीजस्वरूपायै स्वाहा - १३५ For Private & Personal Use Only पद सब ओर से मेरी रक्षा इस तरह हे शिष्य ! ( मैंने) ब्रह्ममंत्रसमूहों वाला शरीर तुझसे कहा है। (इति श्री सरस्वती कवचं समाप्तम्) www.jainelibrary.org
SR No.004932
Book TitleSachitra Saraswati Prasad
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKulchandravijay
PublisherSuparshwanath Upashraya Jain Sangh Walkeshwar Road Mumbai
Publication Year1999
Total Pages300
LanguageGujarati
ClassificationBook_Gujarati
File Size17 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy