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________________ ३२४ श्रीचतुर्थस्तुतिनिर्णय भाग - २ चैत्यवंदना करे एणे पाठे एम सूचवाणुं जे घरे सामायिक करी पछे सामायिक मांहिज वर्त्ततो साधु पासे आवीने सामायिक उच्चरे मार्गनी विराधना टालवाने ईरियावहि पडिक्कमीने सो हाथ उपर थकी ने आवे तेहने जरुर इरियावहि पडिक्कमवी जोइए ते माटे पडिक्कमे छे जाणजो || उक्तं च आवश्यक निर्युक्तौ ॥ " हत्थसयादागंतु गंतुचमुहुतगंजहिं चिट्ठेपंथेवावच्चंतो- नइमंतरेण पडिक्कमइ" १ ते कारण माटे जे सो हाथ उपर थकी आवे तेहने जरुर इरियावहि पडिक्कमीने सामायिक करवुं तथा श्री आवश्यक चूर्णीमां जे पाठ छे ते प्रमाणे खरतरगच्छी सामायिक नथी करता - श्री चूर्णिमां तो कह्युं जे साधु पासे अऋद्धिवंत आवीने सामायिक दंडक उचरे ते मध्ये जावसाहु पजुवासामी एम कह्युं छे जे महर्द्धिक राजा प्रमुख होय तेहने अथवा घर मध्ये सामायिक करे तेहने जावनियमं पज्जुवासामी एहवो पाठ छे पण उपासरे करे तेहने ए पाठ जाव नियमनो कहे छे ते खोटो कहे छे तथा मुहपत्ति पडिले छे तथा कटासणं संदेसामी कहे छे तथा त्रण नोकार गणी ने सामायिकदंडक उच्चरे छे तथा पाउछणं संदेसामी तथा सीयकाले पावरणं संदेसामी चूर्णिमां कह्या नथी पोताना गच्छनुं स्थापन करवा सारु जिनप्रभसूरि गच्छोए विधिप्रपा नामा ग्रंथ करीने तेहमां पोतानो मत स्थाप्यो छे, पण श्री आवश्यक चूर्णि तथा वृति तथा नवपद प्रकरणवृत्ति तथा योगशास्त्रवृत्ति तथा पंचाशक चूर्णि प्रमुख कोई शास्त्र मध्ये ए सामाचारी लखी नथी ए तो जिनप्रभसूरिजीए कठिन छाती करीने पोताना मननी कल्पना करीने विधिप्रपा ग्रंथ रच्यो छे ते तो एमना पक्षी होय ते माने, पण आत्मार्थी तो शास्त्र प्रमाणे करे पण कल्पना करी होय ते बीजा कुंण माने ? ते माटे खरतरनो सामायिक आवश्यक चूर्णिने अनुसारे नथी. श्री श्राद्धविधिशास्त्रमें जो सामायिकको विधि कह्यो सो विधान शुद्ध है ( ३७ ) और सर्व गच्छवासी अपने अपने गच्छकी सामाचारी Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.004920
Book TitleChaturtha Stuti Nirnaya Part 1 2
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAtmaramji Maharaj
PublisherNareshbhai Navsariwala Mumbai
Publication Year2007
Total Pages386
LanguageGujarati, Hindi
ClassificationBook_Gujarati
File Size14 MB
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